पर्वाण्येतानि राजेन्द्र रविसंक्रांतिरेव च ॥
स्त्रीतैलमांसभोगी च पर्वस्वेतेषु वै पुमान् ।
विण्मूत्रभोजनं नाम प्रयाति नरकं ध्रुवम् ॥
विष्णुपुराण के अनुसार पञ्चपर्व-
1 चतुर्दशी
2 अष्टमी
3 अमावस्या
4 पूर्णिमा
5 रविसंक्रान्तिक
पञ्चपर्व में जो मनुष्य
1 स्त्रीसम्भोग
2 तैलाभ्यङ्ग
3 मांसभोजन
करता है, वह मनुष्य विष्मूत्र भोजन नामक नरक में वास करता है।
पंडित पवन…
मासे तु शुक्ला प्रतिपत्प्रवृत्ते पूर्वे शशी मध्यवलो दशाहे ।
श्रेष्ठा द्वितीयेऽल्पवलस्तृतीये सौम्यैस्तु दृष्टो वलवान्सदैव ॥
मध्यबली- शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुक्ल पक्ष की दशमी तक चन्द्र मध्यबली होता है।
पूर्णबली- शुक्ल पक्ष की एकादशी से कृष्ण पक्ष की पञ्चमी तक चन्द्र पूर्णबली होता है।
अल्पबली - कृष्ण पक्ष की षष्ठी से अमावस्या तक अल्पबली होता है।
शुभ ग्रह…
जन्मभं चतुर्गुष्यं तिथिवारसमन्वितम्
नवभिस्तु हरेद्भागं शेषं दिनदशोच्यते ॥॥
रविणा शोकसन्तापौ शशाङ्के क्षेमलाभको
भूमिपुत्रे त्वनिष्टः स्याद्बुधे प्रज्ञाविवर्धनम् ॥॥
गुरी वित्तं भृगौ सौख्यं शनी पीडा न संशयः ।
राहुणा घातपातौ च केतोर्मृत्युसमं फलम् ॥॥
जन्म नक्षत्र की संख्या को चौगुणा करे और तिथि वार की संख्या को जोड़ देवें, तब 9 का भाग देवे जो शेष रहे उससे दिन दशा जाननी चाहिए ।…
पन्द्रह तिथियों का एक पक्ष होता है । जिस पक्ष में चन्द्रमा की कलाओं का बढ़ना आरम्भ होता है, उसे 'शुक्ल पक्ष' तथा जिनमें घटना आरम्भ होता है, उसे 'कृष्णपक्ष' कहते हैं । शुक्लपक्ष की पन्द्रहवीं तिथि- पूर्णिमा को चन्द्रमा का पूर्ण रूप दिखाई देता है तथा कृष्णपक्ष की पन्द्रहवीं तिथि-अमावस्या को चन्द्रमा अदृश्य हो…
योगिनी दशा आठ प्रकार की होती है -
1 मंगल
2 पिंगला
3 धान्या
4 भ्रामरी
5 भद्रिका
6 उल्का
7 सिद्धा
8 संकटा
जन्म नक्षत्र की संख्या में 3 जोड़कर 8 का भाग देने पर जो शेष बचे, उसके अनुसार जन्म के समय आरम्भ में योगिनी दशा होती है।
शुभ योगिनी दशा- मंगला, धान्या,…
तिथिशुक्ल पक्षतिथिकृष्णपक्ष पूर्वार्द्ध उतरार्द्ध पूर्वार्द्ध उतरार्द्ध 1किन्स्तुघ्न बव16बालव कौलव2बालव कौलव17तैत्तिल गर3तैत्तिल गर18वणिज विष्टि4वणिज विष्टि19बव बालव5बव बालव20कौरव तैत्तिल6कौरव तैत्तिल21गर वणिज7गर वणिज22विष्टि बव8विष्टि बव23बालव कौलव9बालव कौलव24तैत्तिल गर10 तैत्तिल गर25वणिज विष्टि11वणिज विष्टि26बव बालव12बव बालव27कौलव तैत्तिल13कौलव तैत्तिल28गर वणिज14गर वणिज29विष्टि शकुनि15 विष्टि बव30चतुष्पाद नाग
पंडित पवन कुमार शर्मा
तिथि और तारीख में अन्तर है । एक सूर्योदय काल से अगले सूर्योदय काल तक के समय को तिथि कहते हैं । तिथि का मान रेखांश के आधार पर विभिन्न स्थानों पर कुछ मिनट या घण्टा घट-बढ़ सकता है । तारीख आधी रात से अगली आधी रात तक के समय को कहते हैं । तारीख…
नन्दा च भद्रा च जया च रिक्ता पूर्णेति तिथ्योऽशुभमध्यशस्ताः ।
सितेऽसिते शस्तसमाधमाः स्युः सितज्ञभौमार्किगुरौ च सिद्धाः ॥
नन्दा, भद्रा, जया, रिक्ता, पूर्णा—तिथियों की संज्ञा हैं
प्रतिपदा, षष्ठी, एकादशी- नन्दा संज्ञा
द्वितीया, सप्तमी, द्वादशी– भद्रा संज्ञा
तृतीया, अष्टमी, त्रयोदशी - जया संज्ञा
चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी- रिक्ता संज्ञा
पञ्चमी, दशमी, पूर्णमासी और अमावस - पूर्णा संज्ञा
नन्दा तिथियाँ…