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तनु-भाव-फल

अङ्गाधीशः स्वगेहे बुधगुरुकविभिः संयुतः केन्द्र गोवा स्वीये तुङ्गे स्वमित्रे यदि शुभभवने वीक्षितः सत्त्वरूपः ॥ स्यान्ननं पुण्यशीलः सकलजनमतः सर्वसम्पन्निधानं ज्ञानी मन्त्री च भूपः सुरुचिरन यनो मानवो मानवानाम् ॥ लग्न का स्वामी लग्न में हो बुध, बृहस्पति, शुक्र से युक्त हो केंद्र में हो उच्च का हो अपने मित्र के घर में हो 9वे घर में हो शुभ ग्रह से दृष्ट…

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राशि होरा

नाम का प्रथम अक्षरराशिशुभ होरा (अनुकूल)साधारण होराअशुभ (प्रतिकूल)चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आमेषसूर्य, चन्द्र, मंगल, बृहस्पतिशुक्र, शनिबुधई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वोवृषबुध, शुक्र, शनिबृहस्पति, मंगलसूर्य, चन्द्रका, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हमिथुनसूर्य, बुध, शुक्रमंगल, बृहस्पति, शनिचंद्रमाही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डोकर्कसूर्य, बुध, चन्द्रमंगल, बृहस्पति,…

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ग्रह-गोचर-राशि-समय

सूर्य् एक राशि में एक महीने तक रहता है। चन्द्रमा एक राशि में सवा दो दिन तक रहता है। मङ्गल एक राशि में पैंतालिस दिन तक रहता है। बुध एक राशि में अठारह दिन तक रहता है। बृहस्पति एक राशि में एकवर्ष तक रहता है। शुक्र एक राशि में भठ्ठाईस दिन तक रहता है। शनैश्चर…

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विंशोत्तरी-दशा-फल-सूर्य

सूर्य दशा के द्वारा प्रत्येक ग्रह की फल-प्राप्ति का समय जाना जाता है। सभी ग्रह अपनी दशा, अन्तर्दशा, प्रत्यन्तर्दशा और सूक्ष्म दशाकाल में फल देते है। जो ग्रह उच्च राशि, मित्रराशि या अपनी राशि में रहता है वह अपनी दशा में अच्छा फल और जो नीचराशि, शत्रुराशि और अस्तंगत हो वे अपनी दशा में धन-हानि,…

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विंशोत्तरी-दशा-फल-मंगल

मंगल उच्च, स्वस्थान या मूलत्रिकोणगत हो तो उस की दशा मे यशलाभ, स्त्री-पुत्र का सुख, साहस, धनलाभ आदि फल प्राप्त होते है। मंगल मेष राशि में हो तो उस की दशा में धनलाभ, ख्याति, अग्निपीड़ा वृष में हो तो रोग, अन्य से धनलाभ, परोपकाररत मिथुन में हो तो विदेशवासी, कुटिल, अधिक खर्च, पित्त-वायु से कष्ट,…

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विंशोत्तरी-दशा-फल-शुक्र

शुक्र की दशा में रत्न, वस्त्र आभूषण सम्मान, नवीन कार्यारम्भ, वाहनसुख आदि फल मिलते हैं। मेष रानि में शुक्र हो तो मन में चंचलता, विदेश भ्रमण, उद्वेग, व्यसन प्रेम, धनहानि वृष में हो तो विद्यालाभ, धन, कन्या सुख की प्राप्ति मिथुन में हो तो काव्य प्रेम, प्रसन्नता, धनलाभ, परदेशगमन, व्यवसाय में उन्नति कर्क में…

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विंशोत्तरी-दशा-फल-शनि

शनि की दशा में जातक को धन, जन, सवारी, प्रताप, भ्रमण, कीत्ति, रोग आदि फल प्राप्त होते हैं। मेष राशि में शनि हो तो शनि की दशा में स्वतन्त्रता, प्रवास, मर्मस्थान में रोग, चर्मरोग, बन्धु-बान्धव से वियोग वृष में हो तो निरुद्यम, वायुपीडा, कलह, में वमन, दस्त के रोग, राजा से सम्मान, विजयलाभ मिथुन…

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विंशोत्तरी-दशा-फल-बुध

बुध दशाफल -उच्च, स्वराशिगत मोर वलवान् बुध की दशा में  विद्या, विज्ञान, शिल्पकृषि कर्म में उन्नति, धनलाभ, स्त्री-पुत्र सुख, कफ-वात-पित्त की पीडा होती है। मेष राशि में बुध की दशा मे धनहानि, छल-कपटयुक्त व्यवहार के लिए प्रवृत्ति वृष राशि में हो तो धन, यशलाभ, स्त्रीपुत्र की चिन्ता, विष से कष्ट मिथुन में हो तो अल्पलाभ,…

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