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 अष्टक-वर्ग

1. जन्म लग्न से ग्रहों की स्थिति अनुसार फल कहना । 2. जन्म-कालीन चन्द्रमा जिसको चन्द्रलग्न भी कहते हैं, उस स्थान से ग्रहों की स्थिति अनुसार फल कहना । 3. गोचर कुंडली के अनुसार फल कहना । लग्न से शरीर का विचार  और चन्द्रमा से मन का विचार किया जाता है। समस्त कार्य मन पर…

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 विशिष्ट राजयोग

ज्योतिष शास्त्र में विशेष प्रकार से बनने वाले योगों को विशिष्ट राजयोग कहते हैं। ये योग सामान्य योगों से हटकर होते हैं। कलश योग- यदि सभी शुभ ग्रह नवम तथा एकादश भाव में स्थित हों तो 'कलश' नामक योग होता है। कमल योग—यदि सभी ग्रह प्रथम, चतुर्थ, सप्तम तथा दशमभाव में हों तो 'कमल' नामक…

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लग्न-राशि-फल

 मेष - लाल शरीर, कफ प्रकृति, अधिक क्रोधी, कृतघ्न, मंद बुद्धि, स्थिरता-युक्त, स्त्री तथा नौकरों से सदा पराजित  वृष - मानसिक रोग, स्वजनों से अपमानित, प्रिय पुरुषों से वियोग, कलह युक्त, सदा दुःखी, शस्त्र से घातृ, धन क्षय  मिथुन - गौरांग, स्त्री में आसक्त, राजा से पीड़ित, दूत का कर्म करे, प्रिय वाणी, बड़ा नम्र,…

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होरास्कन्ध

लग्न- लग्न- बालक का जब जन्म हुआ, उस समय पूर्व दिशा में किस राशि का उदयमान था, जिस राशि का समय-काल था, वही जन्म-लग्न है। होरास्कन्ध- मानव जीवन के सुख-दुःख,  सभी शुभ-अशुभ विषयों का विवेचन करने वाला शास्त्र ही होराशास्त्र है। होरा शब्द की उत्पत्ति अहोरात्र शब्द से हुई है। अहोरात्र शब्द के प्रथम एवं…

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