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भूमि स्पष्ट

नामलक्षणवास परिणामगजप्रष्ठदक्षिण, पश्चिम, नैॠत्य एवं वायव्य में उच्चलक्ष्मी से एवं आयु से पूर्णकूर्मप्रष्ठमध्य में ऊँची एवं चारों ओर नीचीनित्य उत्साह, धन-धान्य की विपुलतादैत्यप्रष्ठपूर्व, आग्नेय एवं ईशान कोंण में ऊँची एवं पश्चिम में नीचीलक्ष्मी नही आती तथा धन, पुत्र एवं पशुओं की हानि होती हैंनागप्रष्ठपूर्व एवं पश्चिम में दीर्घ एवं दक्षिण-उत्तर में उच्चमृत्यु, पत्नि एवं पुत्र…

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भूमि के मुख्य प्रकार 

सुगन्धा ब्राह्मणी भूमी रक्तगन्धा तू क्षत्रिया। मधुगन्धा भवेदद्वैश्या मद्यगन्धा च शूद्रिका ।। सुगंधयुक्त भूमि ब्राह्मणी, रक्त की गंध वाली भूमि क्षत्रिया, धान्य की सुगंध वाली वैश्या एवं मद्यगंधयुक्त भूमि शूद्रा कहलाती है । ब्राह्मणी भूमि : सुगंधयुक्त, सफेद रंग की मिट्टी वाली मधुर रसयुक्त, कुश घास से युक्त । क्षत्रिया भूमि : रक्तगंधा, लाल रंग की…

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 भूमि-प्राप्ति के लिये अनुष्ठान

किसी व्यक्ति को प्रयत्न करने पर भी निवास के लिये भूमि अथवा मकान न मिल रहा हो, उसे भगवान् वराह की उपासना करनी चाहिये । भगवान् वराह की उपासना करने से, उनके मन्त्र का जप करने से, उनकी स्तुति प्रार्थना करने से अवश्य ही निवास के योग्य भूमि या मकान मिल जाता है । स्कन्द…

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गृहारम्भ-मास-फल

जो मनुष्य गृहारम्भ या गृहप्रवेश के समय वास्तु पूजा करता है, वह आरोग्य, पुत्र, धन और धान्य प्राप्त करके सुखी होता हैं । चैत्र मास में गृहारम्भ करने से रोग और शोक की प्राप्ति होती हैं । वैशाख मास में गृहारम्भ करने से धन-धान्य, पुत्र तथा आरोग्य की प्राप्ति होती हैं । ज्येष्ठ मास में…

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गृहारम्भ-तिथि-फल

ये तिथियाँ गृहारम्भ के लिये शुभ फल देने वाली हैं । द्वितीया तिथि शुभ फल देने वाली हैं । तृतीयाश तिथि शुभ फल देने वाली हैं । पंचमी तिथि शुभ फल देने वाली हैं । षष्ठी तिथि शुभ फल देने वाली हैं । सप्तमी तिथि शुभ फल देने वाली हैं । दशमी तिथि शुभ फल…

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गृहारम्भ- सूर्य- राशि- फल

जो मनुष्य गृहारम्भ या गृहप्रवेश के समय वास्तु पूजा करता है, वह आरोग्य, पुत्र, धन और धान्य प्राप्त करके सुखी होता है । मेष राशि के सूर्य में गृहारम्भ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है । वृष राशि के सूर्य में गृहारम्भ करने से धन की वृद्धि होती है । मिथुन राशि के…

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गृह-आकार-परिवर्तन

घर के किसी अंश को आगे नहीं बढ़ाना चाहिये। यदि बढ़ाना हो तो सभी दिशाओं में समान रूप से बढ़ाना चाहिये। घर को पूर्व दिशा में बढ़ाने पर मित्रों से वैर होता है। दक्षिण दिशा में बढ़ाने पर मृत्यु का तथा शत्रु का भय होता है। पश्चिम दिशा में बढ़ाने पर धन का नाश होता…

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