सूर्य
आत्मा, पिता का प्रभाव, नैरोग्य, शक्ति सम्पति, शोभा
चंद्रमा
मन, बुद्धि, राज-मान, माता, संपति, प्रतिष्ठा, प्रभाव
मंगल
पराकम्र, रोग, गुण, बांधव, भूमि पुत्र, परिवार
बुध
विद्या, बन्धु, विवेक मातुल, मित्र, वाक्-शक्ति
बृहस्पति
प्रजा, धन-ऐश्वर्य, तन, पुष्टि, पुत्र, विचार, इच्छा-शक्ति, ज्ञान-गरिमा
शुक्र
पत्नि, वाहन, वस्त्राभूषण, काम-केलि-सौख्य, आमोद-प्रमोद
शनि …
सूर्य
सूर्य की मूलत्रिकोण राशि - सिंह राशि ( 1 से 20 अंश तक )
सूर्य की स्वराशि - सिंह राशि ( 21 से 30 अंश तक )
सूर्य की उच्च राशि- मेष राशि ( 1 से 10 अंश तक )
सूर्य की नीच राशि - तुला राशि ( 1 से 10 अंश तक )
चन्द्रमा
चन्द्रमा…
अस्त
जब कोई ग्रह सूर्य के समीप हो कि सूर्य के प्रकाश के कारण दिखलाई न दे तो उसे अस्त कहते है।
चन्द्रमा सूर्य से 12 अंश दूर तक (सूर्य के अंश चन्द्रमा के अंशों से 12 अंश कम हों या अधिक) तक अस्त रहता है यह अमावस्या तथा शुक्ल पक्ष की प्रथमा को…
बुध जन्म राशि के प्रथम स्थान में स्थित होने पर मनुष्य को वन्धन होता है।
बुध जन्म राशि के दूसरे स्थान में स्थित होने पर मनुष्य को घनलाभ होता है।
बुध जन्म राशि के तीसरे स्थान में स्थित होने पर मनुष्य को मृत्यु की शङ्का होती है।
बुध जन्म राशि के चौथे स्थान में स्थित…
मंगल जन्म राशि के प्रथम स्थान में स्थित होने पर मनुष्य को शत्रु का भय होता है।
मंगल जन्म राशि के दूसरे स्थान में स्थित होने पर मनुष्य को घन के नाश होता है।
मंगल जन्म राशि के तीसरे स्थान में स्थित होने पर मनुष्य को अर्थलाभ होता है।
मंगल जन्म राशि के चौथे स्थान…
चन्द्रमा जन्म राशि के प्रथम स्थान में स्थित होने पर मनुष्य को अर्थलाभ होता है।
चन्द्रमा जन्म राशि के दूसरे स्थान में स्थित होने पर मनुष्य को वित्तनाश होता है।
चन्द्रमा जन्म राशि के तीसरे स्थान में स्थित होने पर मनुष्य को द्रव्यलाभ होता है।
चन्द्रमा जन्म राशि के चौथे स्थान में स्थित होने पर…
सूर्य् जन्म राशि के प्रथम स्थान में स्थित होने पर मनुष्य का स्थान परिवर्तन होता है।
सूर्य् जन्म राशि से दूसरे स्थान में स्थित होने पर भय होता है।
सूर्य् जन्म राशि के तीसरे स्थान में स्थित होने पर श्रीलाभ होता है।
सूर्य् जन्म राशि के चौथे स्थान में स्थित होने पर मनुष्य की मानहानि…
कटुलवणतिक्तमिश्रो मधुराम्लौ च कषायकोऽर्कतः ।
एते रसाःप्रिया भवन्ति मुखेऽर्काद्या वर्तमानाः सन्तः ॥
सूर्य ग्रह कटु रस का अधिपति (स्वामी) है।
चन्द्र ग्रह लवण रस का अधिपति (स्वामी) है।
मङ्गल ग्रह तिक्त रस का अधिपति (स्वामी) है।
बुध ग्रह मिश्रित रस का अधिपति (स्वामी) है।
वृहस्पति ग्रह मधुर रस का अधिपति (स्वामी) है।
शुक्र ग्रह अम्ल रस का…