दो परस्पर प्रतिकूल रत्न धारण करने से व्यक्ति को अशुभ फल प्राप्त होता है।
1 माणिक्य के साथ नीलम, लहसुनिया तथा गोमेद नहीं पहनना चाहिये।
2 मोती के साथ-हीरा, पन्ना, नीलम, लहसुनिया तथा गोमेद नहीं पहनना चाहिये।
3 मूंगा के साथ-हीरा, पन्ना, लहसुनिया तथा गोमेद नहीं पहनना चाहिये।
4 पन्ना के साथ मोती और मूंगा नहीं…
1. वानस्पतिक रत्न :
यह विशेष वृक्षों की जड़ व तने से प्राप्त होते है।
जैसे - कहरूवा, अश्मीभूत आदि ।
2. पाषाण रत्न :
चट्टानों, शिलाखण्डों, खानों तथा नदियों से प्राप्त रत्न पाषाण रत्न कहलाते हैं।
जैसे - हीरा, नीलम, माणिक्य, अकीक आदि ।
3. जैविक रत्न :
जलीय जीवों…
प्रकाश का विस्तार और सन्तुलन करने वाले “रत्न” है । मानव शरीर पर विभिन्न ग्रह-प्रभाव का विस्तार और सन्तुलन करना ही रत्नों का कार्य है । रत्नों का अनुकूल प्रभाव व्यक्ति के शरीर व मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता हैं तथा वह व्यक्ति उचित कार्य करने लगता है । रत्नों का प्रतिकूल प्रभाव…
1. सूर्य
सूर्य मेष राशि में हो तो जातक भाग्यशाली, धनी, यशस्वी, सुखी, नेतृत्वशक्ति सम्पन्न, शूरवीर तथा विद्वान् होता है ।
2. चन्द्रमा
चन्द्रमा वृष राशि में हो तो जातक यशस्वी, विलासी, अलंकार-प्रिय, सुन्दर, सुखी, चपल स्वभाव का तथा मिष्ठान-प्रिय होता है।
3. मंगल
मंगल मकर राशि में हो तो जातक शूर…
राशि का नामधारणीय रत्न का नाम मेषत्रिकोण मूंगावृषहीरा एवं षट्कोण पन्नामिथुनपञ्चकोण पन्ना या मोतीकर्कगोल मोती अथवा नीलमसिंहगोल माणिक्यकन्यापन्नातुलाश्वेत पुखराजवृश्चिकमूंगाधनुपीत पुखराजमकरनीलमकुंभलहसुनिया अथवा फिरोजामीनगोमेद
पंडित पवन कुमार शर्मा
पन्द्रह तिथियों का एक पक्ष होता है । जिस पक्ष में चन्द्रमा की कलाओं का बढ़ना आरम्भ होता है, उसे 'शुक्ल पक्ष' तथा जिनमें घटना आरम्भ होता है, उसे 'कृष्णपक्ष' कहते हैं । शुक्लपक्ष की पन्द्रहवीं तिथि- पूर्णिमा को चन्द्रमा का पूर्ण रूप दिखाई देता है तथा कृष्णपक्ष की पन्द्रहवीं तिथि-अमावस्या को चन्द्रमा अदृश्य हो…
योगिनी दशा आठ प्रकार की होती है -
1 मंगल
2 पिंगला
3 धान्या
4 भ्रामरी
5 भद्रिका
6 उल्का
7 सिद्धा
8 संकटा
जन्म नक्षत्र की संख्या में 3 जोड़कर 8 का भाग देने पर जो शेष बचे, उसके अनुसार जन्म के समय आरम्भ में योगिनी दशा होती है।
शुभ योगिनी दशा- मंगला, धान्या,…