प्रश्न समय का इष्टकाल बना कर प्रश्नकुण्डली, ग्रहस्पष्ट, भावस्पष्ट, नवमाश कुण्डली और चलित कुण्डली बना कर प्रश्न के लाभ-हानि, शुभ-अशुभ का विचार करना चाहिए।
प्रश्न लग्न में
- चर राशि हो
- बलवान् लग्नेश और बलवान् कार्येश
- शुभग्रहों के साथ हो
- शुभग्रहों से दृष्ट हो
- 1,4,5,7,9,10, स्थानी में हो
तो प्रश्नकर्ता जिस कार्य के सम्बन्ध में पूछ रहा है, वह जल्दी पूरा होगा।
प्रश्न लग्न में
- स्थिर राशि लग्न में हो
- लग्नेश और कार्येश बलवान् हो
तो प्रश्नकर्ता जिस कार्य के सम्बन्ध में पूछ रहा है, वह कार्य विलम्ब से होता है।
प्रश्न लग्न में
- दविस्वभाव राशि लग्न में हो
- 1,4,5,7,9,10, स्थानो में पापग्रह हो
- लग्नेश, कार्येश नीच, अस्तगत या शत्रुक्षेत्री हो
तो प्रश्नकर्ता जिस कार्य के सम्बन्ध में पूछ रहा है, वह कार्य सफल नहीं होता है।
प्रश्न
- धन प्राप्ति के लिए लग्न-लग्नेश, घन-घनेश और चन्द्रमा से विचार करना चाहिए।
- यश प्राप्ति के लिए लग्न, तृतीय, दशम और इन के स्वामी तथा चन्द्रमा से विचार करना चाहिए।
- सुख, शान्ति, गृह, भूमि आदि की प्राप्ति के लिए लग्न, चतुर्थ, दशम स्थान, इन के स्वामी और चन्द्रमा से विचार करना चाहिए।
- परीक्षा में यश प्राप्ति के लिए लग्न, पथम, नवम दशम स्थान, इन के स्वामी और चन्द्रमा से विचार करना चाहिए।
- विवाह के लिए लग्न, दद्वितीय, सप्तम स्थान, इन स्थानों के स्वामी और चन्द्रमा से विचार करना चाहिए।
- नौकरी, व्यवसाय और मुकद्दमा में विजय प्राप्त करने के लिए लग्न लग्नेश, दशम दशमेश, एकादश-एकादशेश और चन्द्रमा से विचार करना चाहिए।
- वडे व्यापार के लिए लग्न लग्नेश, द्वितीय-द्वितीयेश, सप्तम सप्तमेश, दशम-दशमेश,एकादशएकादशेशऔर चन्द्रमा से विचार करना चाहिए।
- लाभ के लिए लग्न लग्नेश, एकादश-एकादशेश और चन्द्रमा से विचार करना चाहिए।
- सन्तान प्राप्ति के लिए लग्न लग्नेश, द्वितीय-द्वितीयेश, पचम पचमेश और गुरु से विचार करना चाहिए।