ग्रह को अनुकूल बनाने के लिए उस ग्रह का जो पौधा कहा गया हैं उस पौधे का आरोपण करके उसका सिंचन व पूजन करना चाहिए ।
जैसे - शनि ग्रह प्रतिकूल हो तो घर में शमी(खेजड़ी) का पौधा लगाना चाहिए । कुंडली में नवग्रह प्रतिकूल हो तो सभी ग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए अपने…
सूर्ययन्त्रम्
रसेन्दुनागा नगवाणरामा, युग्माङ्कवेदा नवकोष्ठमध्ये । विलिख्य धार्यं गदनाशनाय, वदन्ति गर्गादिमहामुनीन्द्राः ॥
618753294
चन्द्रयन्त्रम्
नागद्विनन्दा गजषट् समुद्रा शिवाक्षिदिग्वाणविलिख्य कोष्ठे । चन्द्रकृतारिष्टविनाशनाय धार्यं मनुष्यैः शशियन्त्रमीरितम् ॥
7296643105
मंगलयन्त्रम्
गजाग्निदिश्याथनवाद्रिवाणा पातालरुद्रारससंविलिख्य । भौमस्य यन्त्रं क्रमशो विधार्य मनिष्टनाशं प्रवदन्ति गर्गाः ॥
83101754116
बुधयन्त्रम्
नवाब्धिरुद्रा दिङ्नागषष्ठा वाणार्कसप्ता नवकोष्ठयन्त्रे । विलिख्य धार्यं गदनाशहेतवे वदन्ति यन्त्रं शशिजस्य धीराः ॥
951110865127
बृहस्पतियन्त्रम्
दिग्वाणसूर्या शिवनन्दसप्ता षड्विश्वनागाक्रमतोऽङ्ककोष्ठे ।…
ज्योतिष विज्ञान और चिकित्सा विज्ञान का सम्बन्ध प्राचीन काल से रहा है । पूर्वकाल में एक सुयोग्य चिकित्सक के लिये ज्योतिष विषय का ज्ञाता होना अनिवार्य था । इससे रोग निदान में सरलता होती थी ज्योतिष शास्त्र के द्वारा रोग की प्रकृति, रोग का प्रभाव क्षेत्र, रोग का निदान और साथ ही रोग के प्रकट…
ज्योतिष विज्ञान और चिकित्सा विज्ञान का सम्बन्ध प्राचीन काल से रहा है । पूर्वकाल में एक सुयोग्य चिकित्सक के लिये ज्योतिष विषय का ज्ञाता होना अनिवार्य था । इससे रोग निदान में सरलता होती थी ज्योतिष शास्त्र के द्वारा रोग की प्रकृति, रोग का प्रभाव क्षेत्र, रोग का निदान और साथ ही रोग के प्रकट…
मेषवृषमिथुनकर्कसिंहकन्यातुलावृश्चिकधनुमकरकुंभमीनराशि/संज्ञासिरमुखबाहूह्रदयउदरकटीवस्तिप्रजननऊरूजानुजंघाचरणशरीर में स्थानचरस्थिरद्विस्वभावचरस्थिरद्विस्वभावचरस्थिरद्विस्वभावचरस्थिरद्विस्वभावचरादिपुरुषस्त्रीपुरुषस्त्रीपुरुषस्त्रीपुरुषस्त्रीपुरुषस्त्रीपुरुषस्त्रीपुरुषादिक्रूरअक्रूरक्रूरअक्रूरक्रूरअक्रूरक्रूरअक्रूरक्रूरअक्रूरक्रूरअक्रूरक्रूरादिपूर्वदक्षिणपश्चिमउत्तरपूर्वदक्षिणपश्चिमउत्तरपूर्वदक्षिणपश्चिमउत्तरदिशापृष्ठोपृष्ठोशीर्षोंपृष्ठोशीर्षोंशीर्षोंशीर्षोंशीर्षोंपृष्ठोपृष्ठोशीर्षोंउभ्योदयउदयरात्रिरात्रिरात्रिरात्रिदिनदिनदिनरात्रिरात्रिरात्रिदिनदिनबलअग्निपृथ्वीवायुजलअग्निपृथ्वीवायुजलअग्निपृथ्वीवायुजलतत्त्वपर्वतग्रामग्रामवनवनपर्वतभूमिभूमिभूमिवन/भूमिजलजलजलचरादिलम्बालम्बासमानमोटाबड़ामध्यमछोटासमानबड़ामध्यममध्यममध्यमशरीरक्षत्रियवेश्यशुद्रब्राह्मणक्षत्रियवेश्यशुद्रब्राह्मणक्षत्रियवेश्यशुद्रब्राह्मणजातिविषमसमविषमसमविषमसमविषमसमविषमसमविषमसमसमादि
पंडित पवन कुमार शर्मा
ग्रहसूर्यचन्द्रमंगलबुधगुरुशुक्रशनिएकपाद3,103,103,103,103,103,10........अर्ध5,95,95,95,9........5,95,9त्रिपाद4,84,8...........4,84,84,84,8पूर्ण दृष्टिसप्तमसप्तम4,7,8सप्तम5,7,9सप्तम3,7,10
पंडित पवन कुमार शर्मा
सामुद्रिक शास्त्र भारत की बहुत प्राचीन विद्या है। सामुद्रिक शास्त्र का अध्ययन क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है, इसमें शरीर लक्षणों के साथ ही हस्त विज्ञान का भी अध्ययन होता है । हस्तविज्ञान का अपना कुछ वैशिष्ट्य है प्रातः काल में हथेलियों का दर्शन करना हमारे यहाँ पुण्यदायक, मंगलप्रद तथा तीर्थों के सेवन-जैसा माना गया है ।…
शस्त्रघात से जिनकी मृत्यु हुई हो, मरण काल में अस्पृश्य व्यक्ति से जिनका स्पर्श हो गया हो और जिनकी मरण कालिक शास्त्रोक्त विधि पूर्ण न की जा सकी हो, उन व्यक्तियों का इस प्रकार का मरण 'दुर्मरण' कहा जाता है । नारायण बलि बिना किये जो कुछ जीव के उद्देश्य से श्राद्ध आदि प्रदान किया…