योग का अर्थ होता है जोड़ । योग की उत्पत्ति नक्षत्र से होती है। भूकेन्द्रीय दृष्टि से सूर्य + चन्द्रमा की गति का योग एक नक्षत्र भोगकाल 13 अंश 20 कला होता है तब एक योग की उत्पत्ति होती है। अर्थात सूर्य की दैनिक गति / अंश और चन्द्रमा की 13 अंश 20 कला है जिस समय सूर्य और चन्द्रमा मिलकर लगभग 13 अंश 20 कला की दूरी आकाश में पार करेंगे। उस समय को योग कहते हैं. सूर्य और चन्द्रमा के संयोग से योग बनते हैं । सूर्य और चन्द्रमा के स्पष्ट राशियों के जोड़ को ही योग कहते हैं। इनकी संख्या 27 है।
शुभ / अशुभ योगों की सारणी
योग | स्वामी | फल |
विकुम्भ | यम | अशुभ |
प्रीति | विष्णु | शुभ |
आयुष्मान | चन्द्र | शुभ |
सौभाग्य | ब्रह्म | शुभ |
शोभन | गुरु | शुभ |
अतिगंड | चन्द्र | अशुभ |
सुकर्मा | इंद्र | शुभ |
धृति | जल | शुभ |
शूल | सर्प | अशुभ |
गंड | अग्नि | अशुभ |
वृद्धि | सूर्य | शुभ |
ध्रुव | भूमि | शुभ |
व्याघात | वायु | अशुभ |
हर्षण | भग | शुभ |
व्रज | वरुण | अशुभ |
सिद्धि | गणेश | शुभ |
व्यतिपात | रूद्र | अशुभ |
वरियान | कुबेर | शुभ |
परिध | विश्वकर्मा | अशुभ |
शिव | मित्र | शुभ |
सिद्ध | कार्तिकेय | शुभ |
साध्य | सावित्री | शुभ |
शुभ | लक्ष्मी | शुभ |
शुक्ल | पार्वती | शुभ |
ब्रह्म | अश्विन | शुभ |
ऐन्द्र | पितर | अशुभ |
वैधृति | दिति | अशुभ |