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स्वप्न परम पिता परमात्मा की एक विशेष रचना है। सनातन धर्म के धार्मिक ग्रंथो में मनुष्य शरीर की चार अवस्थाये बताई गयी हैं।

  1. जागृत
  2. निद्रा 
  3. स्वप्न
  4. तुरीय

सपना विषय मनुष्य की तीसरी अवस्था स्वप्न है। निद्रा अवस्था में हम कभी-कभी स्वप्न देखते हैं। यह एक रहस्यम विषय है कुछ स्वस्त्र हमे भविष्य की और ईशारा करते हैं. इस लेख का उद्देश्य यही है कि स्वप्न के माध्यम से भविष्य को समझा जा सकता है। अधिकांश स्वप्न निरर्थक और असत्य होते हैं, परंतु कुछ स्वप्न भविष्य में सत्य निकलते है। शुद्ध और निर्मल चित्त वाले लोगों के मन में भविष्य में घटने वाली घटनाओं की प्रतिच्छाया पड़ती है और वे इन घटनाओं के सूचक स्वप्न देखते हैं ।

शिव पार्वती के विवाह प्रसंग में माता पार्वती द्वारा स्वप्न देखे जाते का वर्णन है।
सुनहि मातु मैं दीख अस सपन सुनावऊ तोहि । 
सुन्दर गौरी सुबिप्रबर अस उपदेसेउ मोहि । ।
भगवान राम जब चित्रकूट में पर्णकुटी बनाकर निवास कर रहे थे। माता सीता ने भरत जी के आगमन की घटनाओं को अपने स्वप्न में देखा।
उहाँ रामु रजनी अवसेषा। जागे सीयँ सपन अस देखा॥
सहित समाज भरत जनु आए। नाथ बियोग ताप तन ताए॥
लंकेश्वर रावण द्वारा अपहृता सीता की पुनः प्राप्ति का स्वप्न श्री राम ने ऋष्य मूकपर्वत पर देखा था जो कुछ ही समय के बाद सत्य हो गया ।
श्यान: पुरुषो राम तस्य शैलस्य मूर्धानि ।
यत स्वप्न लभते विर् तत् पुबुदोऽधिगच्छति ॥
स्वप्न चार प्रकार के होते हैं
  1. दैनिक स्वप्न
  2. शुभ स्वप्न
  3. अशुभ स्वप्न
  4. मिश्र स्वप्न

बृहस्पति ने बताया है
सर्वेन्द्रियाण्परतो मनो ह्युप्ररतं यदा।
विषयेभ्यस्तदा स्वप्नं नानारूपं प्रपश्यति । ।

प्रत्यक्ष रूप से जब तक शरीर की देश इन्द्रियों में एक भी काम करेगी तो स्वप्न नहीं आयेगा। मन का भी लिए शिथिल होना आवश्यक है। एक रात को चार भागों में बांटकर स्वप्न फल की प्रकार का समय रस प्रकार दिया जाता हैं –

  • पदोष काल से 3 घंटे तक (6 से 9) – इस समय देखा गया स्वप्न एक वर्ष में फल देता है।
  • रात्री 9 से 12 बजे तक – इस समय देखा गया स्वप्न 6 मास में फल देता है।
  • रात्री 12 से 3 बजे तक – इस समय देखा गया स्वप्न 3 मास में फल देता है।
  • सूर्योदय से तीन घंटे पूर्ण (3 से 6 ) – इस समय देखा गया स्वप्न एक दिन से एक माह में फल देता है।
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