दीर्घायुः तस्करो भोगी, बुद्धिमान् जायते नरः क्रमान्पादचतुराणां तु पुष्यस्य च प्रकीर्तनात् ।
प्रथम चरण में जातक लम्बी आयु वाला होता हैं । चरण का स्वामी सूर्य, नक्षत्र का स्वामी शनि चन्द्रमा की स्थिती तीनों आयुष्य कारक है अतः जातक दीर्घायु वाला होगा ।
द्वितीय चरण में चरण स्वामी बुध और नक्षत्र स्वामी शनि की स्थिती इन दोनों के प्रभाव से मन में चन्द्रमा की स्थिती व्यक्ति को तस्कर बनाती हैं ।
तृतीय चरण का स्वामी शुक्र होने से और चन्द्रमा की स्थिती जातक को भोगी बनाती हैं ।
चतुर्थ चरण में जातक बुद्धिमान होता हैं । चरण का स्वामी मंगल और चन्द्रमा की स्थिती जातक को बुद्धिमान बनाती हैं, क्योकि मंगल तर्कशील ग्रह है । अत: चन्द्र को अपने अनुरूप बनाने में सफल होगा ।