Skip to content Skip to footer

मनुष्य के जीवन में  गृह निर्माण का विशेष महत्त्व होता है, अतः अत्यन्त सावधानी के साथ गृह निर्माण कराना चाहिये।

स्थान-चयन

गृह-निर्माण के लिये प्रथम स्थान का चयन एवं गृहकर्ता के लिये उसकी अनुकूलता पर विचार करना चाहिये।

जिस ग्राम, कालोनी आदि में गृह का निर्माण कराना हो, उस स्थान की राशि गृहकर्त्ता के नाम की राशि से दूसरी, पाँचवी, नवीं, दसवीं एवं ग्याहरवीं हो तो वह शुभ होती है।

प्रथमे सप्तमे ग्रामे वैरं हानिस्त्रिषष्ठगे ।

तुर्याष्टद्वादशे रोग: शेषस्थाने शुभं भवेत् ॥

प्रथमे सप्तमे ग्रामे वैरं हानिस्त्रिषष्ठगे । 
तुर्याष्टद्वादशे रोग: शेषस्थाने शुभं भवेत् ॥

अपनी राशि से जिस ग्राम, कालोनी आदि में बसना हो, उस ग्राम की राशि 1,7 हो तो शत्रुता 3,6 हो तो हानि और 4,8,12 हो तो रोग होता है। शेष राशियां (2,5,9,10,11) शुभ होती है।

मुहूर्त-रत्नाकर के अनुसार-

ग्राम, कालोनी आदि के नामाक्षर की संख्या को 4 से गुणा कर के गुणनफल में गृहकर्ता के नाम के अक्षरों की संख्या जोड़ कर 7 से भाग देना चाहिये। शेष 1 हो तो पुत्र-लाभ, 2 होने पर धन प्राप्ति, 3 होने पर व्यय, 4 होने पर आयु, 5 होने पर शत्रु-क्षय, 6 होने पर राज्य लाभ एवं 7 होने पर मरण-भय प्राप्त होता है।

ग्रामनामाक्षरं ग्रहां चतुर्भिर्गुणयेत्ततः ।
नरनामाक्षरं योज्यं सप्तभिर्भागमाहरेत् ॥
पुत्रलाभो धनप्राप्तिः व्ययः आयुः क्रमेण च ।
शत्रुनाशं राज्यलाभं निश्शेषे मरणं ध्रुवम् ॥
en_USEN
WhatsApp

WhatsApp

WhatsApp

Contact us