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रत्न चिकित्सा

ज्योतिष में माणिक्य सूर्य ग्रह का परिचायक है तथा औषध रूप में क्षय, पक्षाघात, हर्निया, उदर-शूल, घाव और विष प्रभाव आदि के उपचार में काम आता है। ज्योतिष में मोती चंद्रमा ग्रह का परिचायक है औषध रूप में मोती हृदय रोग, मूच्र्छा, मिरगी, उन्माद, पथरी, ज्वर, उदर रोग तथा जीवन रक्षा के उपचार में काम…

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रुद्राक्ष परिचय

एकमुखी रुद्राक्ष एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात् रूप से महादेव का अवतार माना गया हैं। दो मुख रुद्राक्ष दो मुखी रुद्राक्ष को पार्वती-शिव का अवतार माना गया हैं। तीन मुखी रुद्राक्ष तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि का रूप माना गया हैं। चार मुखी रुद्राक्ष चार मुखी रुद्राक्ष को पितामह ब्रह्मा का…

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राशि-परिचय-चक्र

राशी अंकराशिचर स्थिर या द्विस्वभावक्रूर या सौम्यपुरुष या स्त्रीतत्त्वदिगीशअन स्वामीउदय1मेषचरक्रूरपुरुषअग्निपूर्वसिरपृष्टोदय2वृषस्थिरसौम्यस्त्रीपृथ्वीदक्षिणगला (मुख)पृष्टोदय3मिथुनद्विस्वभावक्रूरपुरुषवायुपश्चिमगला बाहुशीर्षोदय4कर्कचरसौम्यस्त्रीजलउत्तरवक्षस्थलपृष्टोदय5सिंहस्थिरक्रूरपुरुषअग्निपूर्वह्रदयशीर्षोदय6कन्याद्विस्वभावसौम्यस्त्रीपृथ्वीदक्षिणपेटशीर्षोदय7तुलाचरक्रूरपुरुषवायुपश्चिमगुर्दा, कमरशीर्षोदय8वृश्चिकस्थिरसौम्यस्त्रीजलउत्तरलिंग, गुदाशीर्षोदय9धनद्विस्वभावक्रूरपुरुषअग्निपूर्वपैरों की संधिपृष्टोदय10मकरचरसौम्यस्त्रीपृथ्वीदक्षिणपैरों के गाँठ, ठेहुना, घुटनापृष्टोदय11कुंभस्थिरक्रूरपुरुषवायुपश्चिमफिल्लिया घुटने से एड़ी तकशीर्षोदय12मीनद्विस्वभावसौम्यस्त्रीजलउत्तरपैर, सुपतीउदयोदय पंडित पवन कुमार शर्मा

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मोती के गुण

मोती तारे की तरह चमकदार होता है। उसमें परछाई दिखती है। बिना खरोंच वाला होता है। गाय का मूत्र किसी मिट्टी के पात्र में लेकर रातभर उसमें मोती डाल दे। यदि सुबह मोती साबुत मिले तो उत्तम मोती होता है। काँच के बर्तन में मोती डालने पर उसकी किरणें निकलती दिखाई दे तो उत्तम मोती…

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दिन-दशा-विचार

जन्मभं चतुर्गुष्यं तिथिवारसमन्वितम् नवभिस्तु हरेद्भागं शेषं दिनदशोच्यते ॥॥ रविणा शोकसन्तापौ शशाङ्के क्षेमलाभको भूमिपुत्रे त्वनिष्टः स्याद्बुधे प्रज्ञाविवर्धनम् ॥॥ गुरी वित्तं भृगौ सौख्यं शनी पीडा न संशयः । राहुणा घातपातौ च केतोर्मृत्युसमं फलम् ॥॥ जन्म नक्षत्र की संख्या को चौगुणा करे और तिथि वार की संख्या को जोड़ देवें, तब 9 का भाग देवे जो शेष रहे उससे दिन दशा जाननी चाहिए ।…

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नक्षत्रों के स्वामी

दस्त्रौ यमोऽनलो धाता चन्द्रो रुद्रोऽदितिर्गुरुः । पितरो भगोऽर्यमदिवाकरौभुजङ्गमश्च ॥ त्वष्टा वायुश्च शक्राग्नि मित्रः शुक्रश्च निर्ऋतिः । जलं विश्वे विधिर्विष्णुर्वासवो वरुणस्तथा ॥ अजैकपादहिर्बुध्न्यः पूषेति कथितो बुधेः । अष्टाविंशतिसंख्यानां नक्षत्राणामधीश्वराः ॥ अश्विनी के स्वामी अश्विनीकुमार, भरणी के यम, कृत्तिका के अग्नि, रोहिणी के ब्रह्मा, मृगशिरा के चन्द्रमा, आर्द्रा के शिव, पुनर्वसु के अदिति, पुष्य के वृहस्पति, आश्लेषा के सर्प, मघा के…

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विरोधी-रत्न

दो परस्पर प्रतिकूल रत्न धारण करने से व्यक्ति को अशुभ फल प्राप्त होता है। 1 माणिक्य के साथ नीलम, लहसुनिया तथा गोमेद नहीं पहनना चाहिये। 2 मोती के साथ-हीरा, पन्ना, नीलम, लहसुनिया तथा गोमेद नहीं पहनना चाहिये। 3 मूंगा के साथ-हीरा, पन्ना, लहसुनिया तथा गोमेद नहीं पहनना चाहिये। 4 पन्ना के साथ मोती और मूंगा नहीं…

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