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आजीविका-कारक

दशम भाव को कर्म भाव की संज्ञा दी जाती है । इसके स्वामी को दशमेश या कर्मेश कहा जाता है। दशम भाव से ही व्यक्ति की आजीविका का विचार किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार - लग्न, चन्द्रमा में से जो बली हो, उससे दसवें स्थान में जो ग्रह हो, उसके अनुसार व्यक्ति की आजीविका…

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पञ्च रत्न

पञ्च गव्यपंचामृतपञ्च पल्लवपञ्च रत्नगौ मूत्रगो धृतबड का पत्तासोनागो गोबरगो दधिगूलर का पत्ताचांदीगो दूधगो दूधपीपल का पत्तातांबागो धृतगंगाजलआम का पत्तामूंगागो दधिशहदपिलखन का पत्तामोती पंडित पवन कुमार शर्मा

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मास देवी देवता

महीनो के नामसूर्यदेवीदेवताचैत्रमासवेदांगरमाविष्णुदेवतावैशाखभानुमोहनीमधुसूधनज्येष्ठइंद्रपद्माक्षीत्रिवित्रमआषाढ़रविकमलावामनश्रावणगबस्तीकान्तिमतीश्रीधरभाद्रपदयमअपराजितात्दषीकेशआश्विनसुवर्णरेतापद्मावतीपद्मनाभकार्तिकदिवाकरराधादामोदरमार्गशीर्षमित्रविशालाशीकेशवपौषविष्णुलक्ष्मीनारायणमाघअरुणरुक्मणिमाधवफाल्गुनसूर्यधात्रीगोविंद पंडित पवन कुमार शर्मा

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संक्रांति-पुण्यकाल

संक्रांति के पहले और बाद 6 घंटे 24 मिनट का समय (16 घड़ी) पुण्य काल माना जाता है। आधी रात पूर्व संक्रांति हो तो दिन के तीसरे भाग में पुण्य काल माना जाता है। आधी रात के बाद संक्रांति हो तो दूसरे दिन के पूर्व भाग पहले प्रात: अगले दिन पुण्य काल माना जाता है।…

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ऋतु

हिन्दू वर्ष में छ: ऋतु होती हें जैसे – वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर ऋतु , मास और संक्रांति आदि का ज्ञान नीचे कोष्टक से हो सकता हें | ऋतुहिन्दी माससंक्रांतिवसन्तचैत्र, वैशाखमीन,मेषाग्रीष्मज्येष्ठ, आषाढ़बृप, मिथुनवर्षाश्रावण, भाद्रपदकर्क, सिंहशरदआश्विन, कार्तिककन्या, तुलाहेमन्तमार्गशीर्ष, पोषवर्षक, धनुशिशिरमाघ, फाल्गुनमकर, कुम्भ पंडित पवन कुमार शर्मा

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गृह-निर्माण- स्थान-चयन

मनुष्य के जीवन में  गृह निर्माण का विशेष महत्त्व होता है, अतः अत्यन्त सावधानी के साथ गृह निर्माण कराना चाहिये। स्थान-चयन गृह-निर्माण के लिये प्रथम स्थान का चयन एवं गृहकर्ता के लिये उसकी अनुकूलता पर विचार करना चाहिये। जिस ग्राम, कालोनी आदि में गृह का निर्माण कराना हो, उस स्थान की राशि गृहकर्त्ता के नाम…

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गृह-निर्माण-दिशा-निर्धारण

मनुष्य के जीवन में गृह निर्माण का विशेष महत्त्व होता है, अतः अत्यन्त सावधानी के साथ गृह निर्माण कराना चाहिये। दिशा-निर्धारण गृह-निर्माण के लिये दिशा-निर्धारण एवं गृहकर्ता के लिये उसकी अनुकूलता पर विचार करना चाहिये। वास्तु शास्त्र में राशि एवं वर्ग के अनुसार निषिद्ध दिशा का उल्लेख प्राप्त होता है। वृष, सिंह, मकर और मिथुन…

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चन्द्रमा-नवांश-अनुसार-शरीर का रंग

मनुष्य के चन्द्रमा के नवांश के अनुसार होता है। लग्ननवांश के अनुसार शरीर की आकृति होती है और चन्द्रमा जिस नवांश में होता है, उसके अधिपति के अनुसार जातक का रंग होता है। चन्द्रमा यदि सूर्य के नवांश में हो तो श्यामवर्ण होगा । चन्द्रमा यदि चन्द्रमा के नवांश में हो तो गोरवर्ण होगा । चन्द्रमा…

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