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दान –

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र की शांति के लिए स्वर्ण कमल का दान करना चाहिए ।

रत्न –

माणिक रत्न उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के स्वामी सूर्य ग्रह को बलवान बनाने के लिए धारण किया जाता हैं ।

शुभ प्रभाव – व्यवसाय में लाभ, प्रसिद्धि, रोगों से लड़ने की शारीरिक क्षमता, मानसिक स्थिरता, कार्य लाभ प्राप्त होता हैं ।

धारण – माणिक रत्न को दायें हाथ की अनामिका उंगली में रविवार को धारण करना चाहिए ।

व्रत –

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के स्वामी सूर्य ग्रह का व्रत 12 रविवारों तक करना चाहिये । व्रत के दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना चाहिये । शुद्ध जल, रक्त चन्दन, अक्षत, लाल पुष्प और दूर्वा से सूर्य को अर्घ्य दे । भोजन में गेहूँ की रोटी, दलिया, दूध, दही, और चीनी खाये । नमक नहीं खाये । इस व्रत के प्रभाव से सूर्य का अशुभ फल शुभ फल में परिणत हो जाता है । तेजस्विता बढ़ती है । शारीरिक रोग शान्त होते हैं । आरोग्यता प्राप्त होती है ।

मन्त्र –

जप संख्या – 5000

वैद मन्त्र –
ॐ दैव्या वद्धर्व्यू च आगत गवं रथेन सूर्य्यतव्चा ।
मध्वायज्ञ गवं समञ्जायतं प्रत्नया यं वेनश्चित्रं देवानाम ।
पौराणिक मंत्र –
संपूजयाम्यर्यमणं फाल्गुनी तार देवताम् ।
धुम्रवर्णं रथारुढं सुशक्तिकरसंयुतम् ॥


नक्षत्र देवता मंत्र –
ॐ अर्यम्ने नमः ।
नक्षत्र नाम मंत्र –
ॐ उत्तरा फाल्गुनीभ्यां नमः ।
पूजन –

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए बड़ और पाकड़ के पौधे की पूजा की जाती है ।

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