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दान –

अश्लेषा नक्षत्र की शांति के लिए इच्छा अनुसार चांदी का दान करना चाहिए ।

रत्न –

पन्ना रत्न अश्लेषा नक्षत्र के स्वामी बुध ग्रह को बल प्रदान करने के लिए पहना जाता है पन्ना हल्के हरे रंग से लेकर गहरे हरे रंग में पाया जाता है ।

शुभ प्रभाव अच्छी वाणी, व्यापार, अच्छी सेहत, धन-धान्य प्रदान करता है ।

धारण पन्ना रत्न  दायें हाथ की कनिष्का उंगली में बुधवार को धारण करना चाहिए ।

व्रत –

अश्लेषा नक्षत्र के स्वामी बुध ग्रह का व्रत 17 बुधवारों तक करना चाहिये । हरे रंग का वस्त्र धारण करना चाहिये । भोजन में नमक रहित मूँग से बनी चीजें खानी चाहिये जैसे मूँग का हलवा, मूँग की पंजीरी, मूँग के लड्डू इत्यादि । भोजन से पहले तीन तुलसी के पत्ते चरणामृत या गंगाजल के साथ खाकर तब भोजन करे । इस व्रत के करने से विद्या और धन का लाभ होता है । व्यापार में उन्नति होती है और शरीर स्वस्थ रहता है ।

मन्त्र –

जप संख्या – 10000

वैद मन्त्र –
ॐ नमोSस्तु सर्पेभ्योये के च पृथ्विमनु: ।
ये अन्तरिक्षे यो देवितेभ्य: सर्पेभ्यो नम: ।
पौराणिक मंत्र –
सर्पोरक्त स्त्रिनेत्रश्च फलकासिकरद्वयः ।
आश्लेषा देवता पितांबरधृग्वरदो स्तुमे ॥
नक्षत्र देवता मंत्र –
ॐ सर्पेभ्यो नमः ।
नक्षत्र नाम मंत्र –
ॐ आश्लेषायै नमः ।
पूजन –

अश्लेषा नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए नाग केसर और चंदन के पौधे की पूजा की जाती है ।

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