सूर्य और चन्द्र के बीच की 12 डिग्री की दूरी को एक तिथि कहा जाता है। अमावस्या को सूर्य और चन्द्र एक राशि के समान अंश पर होते हैं । 0° से 12° तक दूरी शुक्लपक्ष प्रतिपदा, 12° से 24° तक शुक्लपक्ष द्वितीया, 24° से 36° तक दूरी होने पर शुक्लपक्ष तृतीया होती है। इसी प्रकार पूर्णिमा को चन्द्र सूर्य से 180° पर होता है। अतः 180 से 192° तक कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, 192° से 204° तक द्वितीया होगी। इस प्रकार 180° 360° तक कृष्णपक्ष की क्रमशः प्रतिपदा से अमावस्या तककी तिथियाँ होंगी।
चन्द्र की दैनिक औसत गति 800 कला मानी गयी है, जिसमें ह्रास और वृद्धि दृष्टिगोचर होती है; क्योंकि सूर्य के चारों ओर घूमती हुई पृथ्वी को समान एवं विपरीत दिशा में चलकर चन्द्र पार करता है। यही कारण है कि तिथिमान भी घटता-बढ़ता रहता है। कभी तो तिथि 21 घण्टे के लगभग हो जाती है तो कभी 26 घण्टे के लगभग तक की चन्द्र एक दिन में जब तक 800 कला चलता है, सूर्य तब तक 1° आगे बढ़ जाता है। अतः सूर्य और चन्द्र का एक दिन में पारस्परिक अन्तर 12° रहता है। अतः प्रतिदिन एक तिथि होती है तथा इसी प्रकार क्रम चलता रहता है।
तिथि-वृद्धि एवं क्षय
यदि किसी दिन सूर्योदय से पूर्व ही कोई तिथि प्रारम्भ होकर अगले दिन सूर्योदय के बाद भी चालू रहती है तो उस तिथि को वृद्धि तिथि माना जाता है।
यदि किसी दिन सूर्योदय से कुछ समय पश्चात् कोई तिथि प्रारम्भ होकर दूसरे दिन के सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाय तो उस तिथि को क्षय तिथि माना जाता है।