- धनिष्ठाका उत्तरार्ध
- शतभिषा
- पूर्वाभाद्रपद
- उत्तरा भाद्रपद
- रेवती
इन पाँच नक्षत्रों को पंचक कहते हैं। पंचक में निषिद्ध कार्य को निरूपित करते हुए बताया गया है।
धनिष्ठापञ्चके त्याज्यस्तृणकाष्ठादिसङ्ग्रहः । त्याज्या दक्षिणदिग्यात्रा गृहाणां छादनं तथा ॥
पंचक में
- तृण-काष्ठादि का संचय
- दक्षिण दिशा की यात्रा
- गृह छत
- प्रेतदाह
- शय्या बनाना
ये कार्य निषिद्ध हैं।
2022 में पंचक
जनवरी –
बुधवार, 5 जनवरी 19:54:08 बजे से सोमवार, 10 जनवरी 08:50:10 बजे तक,
फरवरी –
बुधवार, 2 फरवरी 06:45:43 बजे से रविवार, 6 फरवरी 17:10:36 बजे तक,
मार्च –
मंगलवार, 1 मार्च 16:32:20 बजे से रविवार, 6 मार्च 02:30:00 बजे तक,
मार्च-अप्रैल –
सोमवार, 28 मार्च 23:55:12 बजे से शनिवार, 2 अप्रैल 11:21:47 बजे तक,
अप्रैल –
सोमवार, 25 अप्रैल 05:30:05 बजे से शुक्रवार, 29 अप्रैल 18:42:55 बजे तक,
मई –
रविवार, 22 मई 11:13:03 बजे से शुक्रवार, 27 मई 00:38:48 बजे तक,
जून –
शनिवार, 18 जून 18:43:37 बजे से गुरुवार, 23 जून 06:14:57 बजे तक,
जुलाई –
शनिवार, 16 जुलाई 04:17:42 बजे से बुधवार, 20 जुलाई 12:51:09 बजे तक,
अगस्त –
शुक्रवार, 12 अगस्त 14:49:56 बजे से मंगलवार, 16 अगस्त 21:07:16बजे तक,
सितम्बर –
शुक्रवार, 9 सितंबर 00:39:50 बजे से मंगलवार, 13 सितंबर 06:36:37 बजे तक,
अक्टूबर –
गुरुवार, 6 अक्टूबर 08:28:35 बजे से सोमवार, 10 अक्टूबर 16:02:42 बजे तक,
नवम्बर –
बुधवार, 2 नवंबर 14:17:09 बजे से सोमवार, 7 नवंबर 00:04:50 बजे तक,
नवम्बर-दिसम्बर –
मंगलवार, 29 नवंबर 19:51:49 बजे से रविवार, 4 दिसंबर 06:17:01 बजे तक,
दिसम्बर –
मंगलवार, 27 दिसंबर 03:31:28 बजे से शनिवार, 31 दिसंबर 11:47:35 बजे तक,