27 नक्षत्र वाटिका-
नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए उस नक्षत्र का जो पौधा कहा गया हैं उस पौधे का आरोपण करके उसका सिंचन व पूजन करना चाहिए ।
नक्षत्र | वृक्ष |
अश्विनी | केला, आक, धतूरा |
भरणी | केला, आंवला |
कृत्तिका | गूलर |
रोहिणी | जामुन |
मृगशिरा | खैर |
आर्द्रा | आम, बेल |
पुनर्वसु | बांस |
पुष्य | सेमर |
आश्लेषा | नाग केसर और चंदन |
मघा | बड़ |
पूर्वाफाल्गुनी | ढाक |
उत्तराफाल्गुनी | बड़ और पाकड़ |
हस्त | रीठा |
चित्रा | बेल |
स्वाति | अर्जुन |
विशाखा | नीम |
अनुराधा | मौलसिरी |
ज्येष्ठा | रीठा |
मूल | राल |
पूर्वाषाढ़ा | मोलसिरी/जामुन |
उत्तराषाढ़ा | कटहल |
श्रवण | आक |
धनिष्ठा | शमी और सेमर |
शतभिषा | कदम्ब |
पूर्वाभाद्रपद | आम |
उत्तराभाद्रपद | पीपल और सोनपाठा |
रेवती | महुआ |
जैसे – श्रवण नक्षत्र प्रतिकूल हो तो आक का पौधा लगाना चाहिए । कुंडली में 27 नक्षत्र प्रतिकूल हो तो सभी 27 नक्षत्रों को अनुकूल बनाने के लिए 27 नक्षत्र वाटिका का आरोपण करना चाहिए ।
केला, आक, धतूरा – अश्विनी नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए केला, आक, धतूरा के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
केला, आंवला – भरणी नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए केला, आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
गूलर – कृत्तिका नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए गूलर के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
जामुन – रोहिणी नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए जामुन के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
खैर – मृगशिरा नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए खैर के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
आम, बेल – आर्द्रा नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए आम, बेल के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
बांस – पुनर्वसु नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए बांस के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
सेमर – पुष्य नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए सेमर के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
नाग केसर और चंदन – आश्लेषा नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए नाग केसर और चंदन के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
बड़ – मघा नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए बड़ के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
ढाक – पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए ढाक के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
बड़ और पाकड़ – उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए बड़ और पाकड़ के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
रीठा – हस्त नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए रीठा के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
बेल – चित्रा नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए बेल के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
अर्जुन – स्वाति नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए अर्जुन के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
नीम – विशाखा नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए अर्जुन के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
मौलसिरी – अनुराधा नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए मौलसिरी के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
रीठा – ज्येष्ठा नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए रीठा के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
राल – मूल नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए राल के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
मोलसिरी/जामुन – पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए मोलसिरी/जामुन के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
कटहल – उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए कटहल के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
आक – श्रवण नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए आक के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
शमी और सेमर – धनिष्ठा नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए शमी और सेमर के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
कदम्ब – शतभिषा नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए कदम्ब के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
आम – पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए आम के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
पीपल और सोनपाठा – उत्तराभाद्रपद नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए पीपल और सोनपाठा के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
महुआ – रेवती नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए महुआ के वृक्ष की पूजा की जाती है ।