मिलान के चरण –
दाराकारक से वर-कन्या के प्रेम, शारीरीक आकर्षण और सुख का विचार किया जाता है।
यदि दोनों की कुण्डलीयों में दाराकारक-
- 3,11 का सम्बन्ध हो
- 5,9 का सम्बन्धा हो
- एक दूसरे से केन्द्र में हो तो वर-कन्या के बीच में प्रेम और शारीरीक सम्बन्ध अच्छा रहेगा और यदि षडाष्टक 6-8 और द्विद्वादश 2-12 का सम्बन्ध हो तो प्रेम और शारीरीक संबन्धों में अनुकूलता नही रहनी चाहिए
आत्म कारक वर-कन्या के बौद्धिक मिलान के बारे में सूचना देता है।
- 3, 11 का सम्बन्ध हो
- 5, 9 का सम्बन्ध हो
- एक दूसरे से केन्द्र में हो तो दोनों के बौद्धिक स्तर में समानता होती है जो उनके सुखद दाम्पत्य जीवन की अनुकूलता दर्शाता है यदि आत्म कारक का सम्बन्ध 6-8 या 2-12 का हो तो यह योग प्रतिकूलता दिखाता है।
इसके साथ आत्मकारक और दाराकारक के शत्रु-मित्र का विचार भी करे।