प्रातः काल-
प्रतिदिन सूर्योदय से 48 मिनट पूर्व का काल।
उषाकाल-
सूर्योदय से २ घण्टा पूर्व का काल।
अरुणोदयकाल-
सूर्योदय से 1 घण्टा 12 मिनट तक का काल |
अभिजित्काल-
पलगभग दोपहर 11.36 बजे से 12.24 बजे तक का काल बुधवार को अभिजित्काल नहीं होता है |
प्रदोषकाल-
प्रतिदिन सूर्यास्त के 48 मिनट बाद तक…
सप्ताह
सूर्यादि सात वारों के क्रमानुसार एक चक्र पूर्ण होने के काल का नाम सप्ताह है।
पक्ष
पक्ष दो हैं, कृष्णपक्ष तथा शुक्लपक्ष। ये 15-15 तिथियों के होते हैं। कृष्णपक्ष पितरोंका दिन तथा शुक्लपक्ष पितरों की एक रात्रि होती है।चन्द्रकलाओं की वृद्धिसे शुक्लपक्ष तथा हास से कृष्णपक्ष का निर्धारण हुआ।
अयन
अयन 2 होते हैं।…
भारतीय ज्योतिष में सम्पूर्ण गणना पृथ्वी को केन्द्र मानकर की गयी है, जबकि वास्तव में सौर-परिवार का केन्द्र सूर्य है, जिसके चारों ओर अपनी-अपनी कक्षाओं में पृथ्वी सहित समस्त ग्रह परिक्रमण करते हैं, पर भारतीय ज्योतिष दृश्य-स्थिति को स्वीकारता है। पृथ्वी से देखने पर विभिन्न राशियों में से अन्य ग्रहों की भाँति सूर्य भी परिक्रमण…
चान्द्रमासों के नाम नक्षत्रों के नाम पर रखे गये है। पूर्णिमा को जो नक्षत्र होता है,उस नक्षत्र के नाम पर मास का नाम रखा गया है चन्द्रमा चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को अश्विनी नक्षत्र पर प्रकट हुआ था पूर्णिमा को चित्रा नक्षत्र पर आया इस कारण प्रथम मास का नाम चैत्र पड़ा। अगले मास की पूर्णिम…
पहचानरेवती नक्षत्र 32 तारों से मिलकर बना हैं । यह आकार वमे मृदन्ग या मछली के समान दिखाई देता हैं ।नक्षत्र के चरण - चरण स्वामी ग्रहदे दो चा ची …
पहचानउत्तराभाद्रपद नक्षत्र 2 तारों से मिलकर बना हैं । इसका आकार यमल (जोडा) के समान दिखाई देता हैं ।नक्षत्र के चरण एवं चरण स्वामी ग्रहदू ध झ ञ सूर्य बुध शुक्र मंगलदिशाउत्तरदेवता स्वामी गृहशनिस्वामी…
पहचानपूर्वाभाद्रपद नक्षत्र 2 तारों से मिलकर बना हैं । इसका आकर मंच के समान दिखाई देता हैं ।नक्षत्र के चरण एवं चरण स्वामी ग्रहसे सो द दी मंगल शुक्र बुध चन्द्रदिशापश्चिमदेवताअजपादस्वामी…