कुण्डली मिलान में निम्न बिन्दुओ का विचार किया जाता है -
① गुण मिलान
② ग्रह मिलान
③ भाव या राशि मिलान
④ मांगलिक दोष, संतान, आयुविचार इसके साथ-साथ अष्टक वर्ग से भी मिलान करना चाहिए।
अष्टक वर्ग से कुण्डली मिलान के चरण -
वर-कन्या की राशि देखें
जैसे-
वर…
दशम भाव को कर्म भाव की संज्ञा दी जाती है । इसके स्वामी को दशमेश या कर्मेश कहा जाता है।
दशम भाव से ही व्यक्ति की आजीविका का विचार किया जाता है।
ज्योतिष के अनुसार -
लग्न, चन्द्रमा में से जो बली हो, उससे दसवें स्थान में जो ग्रह हो, उसके अनुसार व्यक्ति की आजीविका…
अङ्गाधीशः स्वगेहे बुधगुरुकविभिः संयुतः केन्द्र गोवा स्वीये तुङ्गे स्वमित्रे यदि शुभभवने वीक्षितः सत्त्वरूपः ॥
स्यान्ननं पुण्यशीलः सकलजनमतः सर्वसम्पन्निधानं ज्ञानी मन्त्री च भूपः सुरुचिरन यनो मानवो मानवानाम् ॥
लग्न का स्वामी
लग्न में हो बुध, बृहस्पति, शुक्र से युक्त हो केंद्र में हो उच्च का हो अपने मित्र के घर में हो 9वे घर में हो शुभ ग्रह से दृष्ट…
सूर्य
आत्मा, पिता का प्रभाव, नैरोग्य, शक्ति सम्पति, शोभा
चंद्रमा
मन, बुद्धि, राज-मान, माता, संपति, प्रतिष्ठा, प्रभाव
मंगल
पराकम्र, रोग, गुण, बांधव, भूमि पुत्र, परिवार
बुध
विद्या, बन्धु, विवेक मातुल, मित्र, वाक्-शक्ति
बृहस्पति
प्रजा, धन-ऐश्वर्य, तन, पुष्टि, पुत्र, विचार, इच्छा-शक्ति, ज्ञान-गरिमा
शुक्र
पत्नि, वाहन, वस्त्राभूषण, काम-केलि-सौख्य, आमोद-प्रमोद
शनि …
नाम का प्रथम अक्षरराशिशुभ होरा (अनुकूल)साधारण होराअशुभ (प्रतिकूल)चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आमेषसूर्य, चन्द्र, मंगल, बृहस्पतिशुक्र, शनिबुधई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वोवृषबुध, शुक्र, शनिबृहस्पति, मंगलसूर्य, चन्द्रका, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हमिथुनसूर्य, बुध, शुक्रमंगल, बृहस्पति, शनिचंद्रमाही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डोकर्कसूर्य, बुध, चन्द्रमंगल, बृहस्पति,…
सूर्य
सूर्य की मूलत्रिकोण राशि - सिंह राशि ( 1 से 20 अंश तक )
सूर्य की स्वराशि - सिंह राशि ( 21 से 30 अंश तक )
सूर्य की उच्च राशि- मेष राशि ( 1 से 10 अंश तक )
सूर्य की नीच राशि - तुला राशि ( 1 से 10 अंश तक )
चन्द्रमा
चन्द्रमा…
प्रश्न समय का इष्टकाल बना कर प्रश्नकुण्डली, ग्रहस्पष्ट, भावस्पष्ट, नवमाश कुण्डली और चलित कुण्डली बना कर प्रश्न के लाभ-हानि, शुभ-अशुभ का विचार करना चाहिए।
प्रश्न लग्न में
चर राशि हो बलवान् लग्नेश और बलवान् कार्येश शुभग्रहों के साथ हो शुभग्रहों से दृष्ट हो 1,4,5,7,9,10, स्थानी में हो
तो प्रश्नकर्ता जिस कार्य के सम्बन्ध में पूछ…
अस्त
जब कोई ग्रह सूर्य के समीप हो कि सूर्य के प्रकाश के कारण दिखलाई न दे तो उसे अस्त कहते है।
चन्द्रमा सूर्य से 12 अंश दूर तक (सूर्य के अंश चन्द्रमा के अंशों से 12 अंश कम हों या अधिक) तक अस्त रहता है यह अमावस्या तथा शुक्ल पक्ष की प्रथमा को…