दशम भाव को कर्म भाव की संज्ञा दी जाती है । इसके स्वामी को दशमेश या कर्मेश कहा जाता है।
दशम भाव से ही व्यक्ति की आजीविका का विचार किया जाता है।
ज्योतिष के अनुसार –
लग्न, चन्द्रमा में से जो बली हो, उससे दसवें स्थान में जो ग्रह हो, उसके अनुसार व्यक्ति की आजीविका का विचार किया जाता है।
जैसे दशम में –
- सूर्य हो तो पिता से धन प्राप्त होता है या रोजगार में सहायक होते है।
- चन्द्रमा हो तो माता से धन प्राप्त होता है या रोजगार में सहायक होते है।
- मंगल हो तो स्वाभाविक शत्रु, चाचा, ताऊ आदि के पक्ष से धन प्राप्त होता है या रोजगार में सहायक होते है।
- बुध हो तो हितजन, मामा या मित्रों आदि से धन प्राप्त होता है या रोजगार में सहायक होते है।
- गुरु हो तो भाई से धन प्राप्त होता है या रोजगार में सहायक होते है।
- शुक्र हो तो पत्नी से धन प्राप्त होता है या रोजगार में सहायक होते है।
- शनि हो तो नौकरों तथा कर्मचारियों से धन प्राप्त होता है या रोजगार में सहायक होते है ।