सैका तिथिर्वारयुता कृताप्ताः शेषेगुणेऽभ्र भुवि वन्हिवासः । सौख्याय होमः शशियुग्म शेषे प्राणार्थनाशौ दिवि भूतले च ॥
तिथि | अंक |
प्रतिपदा | 1 |
द्वितीया | 2 |
तृतीया | 3 |
चतुर्थी | 4 |
पंचमी | 5 |
षष्ठी | 6 |
सप्तमी | 7 |
अष्टमी | 8 |
नवमी | 9 |
दशमी | 10 |
एकादशी | 11 |
द्वादशी | 12 |
त्रयोदशी | 13 |
चतुर्दशी | 14 |
अमावस्या | 15 |
प्रतिपदा | 16 |
द्वितीया | 17 |
तृतीया | 18 |
चतुर्थी | 19 |
पंचमी | 20 |
षष्ठी | 21 |
सप्तमी | 22 |
अष्टमी | 23 |
नवमी | 24 |
दशमी | 25 |
एकादशी | 26 |
द्वादशी | 27 |
त्रयोदशी | 28 |
चतुर्दशी | 29 |
पूर्णिमा | 30 |
वार | अंक |
रविवार | 1 |
सोमवार | 2 |
मंगलवार | 3 |
बुधवार | 4 |
गुरूवार | 5 |
शुक्रवार | 6 |
शनिवार | 7 |
तिथि 1 से 30 तक होती हें , वार 1 से 7 तक होते हें
जिस दिन अग्नि वार जानना हो तो तिथि वार अंक को जोडकर , उसमें 1 जोडकर 4 का भाग दे
शेष बचने पर परिणाम जाने –
1 व 2 शेष बचने पर अग्नि का वासा पाताल में होता है ।
फल -प्राण और धन का नाश होता है ।
0 व 3 शेष बचने पर अग्नि का वासा पृथ्वी पर होता है ।
फल -सुख देने वाला है ।