हाथ और अंगुलियों की बनावट और आकार से जातक के स्थिर फलादेश होते है जैसे व्यक्ति की सोच, मानसिक स्थिती, गुन-अवगुण क्रियाशीलता, आलस्य, शारीरीक शाक्ति या शारीरीक कमजोरी. शारीरीक या मानसिक स्थिती, वंशानुगत विशेषताएँ या कमीयाँ, व्यक्ति के सांसारिक आध्यात्यिक आचरण, जीवन में धनार्जन शारीरीक परिश्रम या मानसिक परिश्रम से प्राप्त करेगा
हाथों के प्रकार –
1. प्रारम्भिक हाथ (निम्न श्रेणी का हाथ) –
पहचान –
- हथेली भारी लम्बी, चौडी होना
- हथेली से अंगुलियों का छोटा होना
- अंगूठा छोटा और पहला पर्व अनुपात में मोटा या भरी होना
फल – मानसिक और बोद्धिक क्षमता कम होने के कारन अविवेकी होते हैं। यह दूसरे के निर्देश के अनुसार कार्य करते हैं । हिंसक और अपराधी भी हो सकते है। एक सैनिक भी हो सकते है। असंवेदन शील होते हैं। सहास की कमी होती है घर के शेर होते हैं। ऐसे हाथ वाले बिना सींग और पूछ के पशु होते हैं। अर्थात खाना पीना सोना, मैथुन करना और मर जाना ही इनका जीवन होता है।
2. वर्गाकार हाथ –
पहचान – नाम से ही ज्ञात हो रहा है जिसकी हथेली की आकृति लम्बाई और चौडाई बराबर हो, नाखूनों की लम्बाई चौडाई बराबर हो अंगुलियाँ सीधी हो और आयताकार आकृति मे हो इस प्रकार के हाथ वर्गाकार हाथ कहलाते है। इस हाथ का दूसरा नाम उपयोगी हाथ भी है।
फल – ऐसे हाथ वाले जातक कार्य में कुशल ,दूरदर्शी, धीर्यवान परम्पराओ का पालन करने वाले, दिनचर्या नियमित, अनुशासन में रहते वाले, सम्मान करने वाले, स्वाभिमानी, सहासी, भौतिकतावादी, ईमानदार, स्वार्थी, आस्तिक, सतत परिश्रम करने वाले होते है ऐसे व्यक्ति किसान, व्यापारी निजी क्षेत्र में सफल होते हैं। व्यवहारिक होते हैं अपने रिस्तों की जिम्मेदारीयों को निभाने वाले होते हैं। जल्दी से किसी पर विश्वास नहीं करते इसलिए इनके साथ धोखा नहीं होता है।