राशियों को चार तत्त्वों में बाँटा गया है। पाँचवा तत्त्व आकाश है, जिस में यह चारों मिलते है। राशियाँ जब लग्न में उदित होती है, तो जातक में राशियों के तत्त्व अनुसार चारित्रिक विशेषताएँ होती हैं यदि राशि और ग्रह दोनों में समान गुण हुए, तो ग्रह शक्तिशाली हो जाता है और यदि विपरीत गुण धर्म की राशि में है, तो ग्रह के स्वाभाविक गुण में परिवर्तन होता है।
मेष राशि– अग्नि तत्त्व राशि होती है।
गुण- तीव्रता, उष्णता
जातक पर प्रभाव – क्रिया शक्ति अधिक होगी, उत्साह, कार्य तेजी से करने की क्षमता होगी।
वृष राशि– पृथ्वी तत्त्व राशि होती है।
गुण- स्थिरता, भौतिकता
जातक पर प्रभाव- स्थिरता, क्रियात्मक रूप से समझने और करने की शक्ति होती है।
मिथुन राशि– वायु तत्त्व राशि होती है।
गुण- कल्पना, विचार
जातक पर प्रभाव- विचारशीलता और गतिशीलता होगी।
कर्क राशि– जल तत्त्व राशि होती है।
गुण- सरलता, भावुकता
जातक पर प्रभाव -क्रियाशीलता, संवेदना-मस्तिष्क से कम, हृदय-भावनाओं से अधिक काम लेने का गुण है।
सिंह राशि– अग्नि तत्त्व राशि होती है।
गुण- तीव्रता, उष्णता
जातक पर प्रभाव – क्रिया शक्ति अधिक होगी, उत्साह, कार्य तेजी से करने की क्षमता होगी। काम में स्थिरता और परिपक्कता होती है।
कन्या राशि– पृथ्वी तत्त्व राशि होती है।
गुण- स्थिरता, भौतिकता
जातक पर प्रभाव- कन्या राशि में कार्य कुशलता, सजगता, बुद्धिमत्ता पूर्वक कार्यक्षमता होती है।
तुला राशि– वायु तत्त्व राशि होती है।
गुण- कल्पना, विचार
जातक पर प्रभाव- विचार शक्ति, क्रियात्मक रूप और निरीक्षण शक्ति विशेष होती है।
वृश्चिक राशि– जल तत्त्व राशि होती है।
गुण- सरलता, भावुकता
जातक पर प्रभाव – सरलता के साथ विचार शक्ति होती है।
धनु राशि– अग्नि तत्त्व राशि होती है।
गुण- तीव्रता, उष्णता
जातक पर प्रभाव – क्रिया शक्ति अधिक होगी, उत्साह, कार्य तेजी से करने की क्षमता होगी। जातक कार्य शीघ्र तथा सुलझे ढंग से करता है।
मकर राशि-पृथ्वी तत्त्व राशि होती है।
गुण- स्थिरता, भौतिकता
जातक पर प्रभाव- क्रियाशील, भौतिकवादी होगा। वर्तमान का विशेष ध्यान रहता है।
कुम्भ राशि– वायु तत्त्व राशि होती है।
गुण- कल्पना, विचार
जातक पर प्रभाव- विचारों की स्थिरता और स्मरण शक्ति की प्रबलता होगी ।
मीन राशि– जल तत्त्व राशि होती है।
गुण- सरलता, भावुकता
जातक पर प्रभाव -क्रियाशीलता,भावनाओ का अधिक महत्व होगा ।