सूर्य से- पिता, आत्मा, प्रताप, आरोग्यता, आसक्ति और लक्ष्मी का विचार किया जाता है।
चन्द्रमा से- मन, बुद्धि, राजा की प्रसन्नता, माता और धन का विचार किया जाता है।
मंगल से- पराक्रम, रोग, गुण, भाई, भूमि, शत्रु और जाति का विचार किया जाता है।
बुध से- विद्या, बन्धु, विवेक, मामा, मित्र और वचन का विचार किया जाता है।
बृहस्पति से- बुद्धि, शरीर-पुष्टि, पुत्र और ज्ञान का विचार किया जाता है।
शुक्र से- स्त्री, वाहन, भूषण, कामदेव, व्यापार और सुख का विचार किया जाता है।
शनि से- आयु, जीवन, मृत्युकरण, विपत् और सम्पत् का विचार किया जाता है।
राहु से- पितामह ( पिता का पिता ) का विचार किया जाता है।
केतु से- मातामह ( नाना ) का विचार किया जाता है।
बल-वृद्धि विचार
सूर्य से शनि, शनि से मंगल, मंगल से बृहस्पति, बृहस्पति से चन्द्रमा, चन्द्रमा से शुक्र, शुक्र से बुध एवं बुध से चन्द्रमा का बल बढ़ता है । अर्थात् सूर्य के साथ शनि का बल, शनि के साथ मंगल का बल, मंगल के साथ गुरु का बल, गुरु के साथ चन्द्रमा का बल, चन्द्रमा के साथ शुक्र का बल और शुक्र के साथ बुध का बल बढ़ता है ।