दीर्घायुः तस्करो भोगी, बुद्धिमान् जायते नरः क्रमान्पादचतुराणां तु पुष्यस्य च प्रकीर्तनात् ।
प्रथम चरण में जातक लम्बी आयु वाला होता हैं । चरण का स्वामी सूर्य, नक्षत्र का स्वामी शनि चन्द्रमा की स्थिती तीनों आयुष्य कारक है अतः जातक दीर्घायु वाला होगा ।
द्वितीय चरण में चरण स्वामी बुध और नक्षत्र स्वामी शनि की स्थिती इन…
मूल संज्ञक- ज्येष्ठा, आश्लेषा, रेवती, मूल, मघा, अश्विनी
पंचक संज्ञक- धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वभाद्र, उत्तरमाद्र और रेवती
ध्रुव संज्ञक- उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़, उत्तराभाद्रपद व रोहिणी
चर या चल संज्ञक -स्वाती, पुनर्वसु श्रवण, घनिष्ठा और शतभिषा
मिश्र संज्ञक- विशाखा और कृतिका
अघोमुख संज्ञक- मूल, आश्लेषा, विशाखा, कृतिका, पूर्वफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़, पूर्वाभाद्रपद, भरणी और मघा
ऊर्ध्वं संज्ञक-आर्द्रा पुष्य, श्रवण,…
सूर्यादिवारे तिथयो भवन्ति मघाविशाखाशिवमूलवह्निः ।
ब्राह्मचं करोर्काद्यमघण्ट काश्च शुभे विवर्ज्यागमने त्ववश्यम् ॥
रविवार को मघा, सोमवार को विशाखा, मंगलवार को आर्द्रा, बुधवार को मूल, बृहस्पतिवार को कृत्तिका, शुक्रवार को रोहिणी और शनैश्चरवार को हस्त हो तो यमघण्टयोग होता है । इनमें शुभ कार्य नही करने चाहिए।
परन्तु यात्रा तो अवश्य ही नही करनी चाहिए।
दग्ध- नक्षत्र…
अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल एवं रेवती नामक छह नक्षत्र गंड मूल नक्षत्र कहलाते हैं। यदि जन्म के समय चंद्रमा गंड मूल नक्षत्र में हो तो27 दिनों के पश्चात् जब वहीं नक्षत्र आता है, तब उसकी शांति कराई जाती है।
गंडांत योग
जहाँ राशि और नक्षत्र दोनों की समाप्ति एक साथ होती है, उसे गंड…
धनिष्ठाका उत्तरार्ध शतभिषा पूर्वाभाद्रपद उत्तरा भाद्रपद रेवती
इन पाँच नक्षत्रों को पंचक कहते हैं। पंचक में निषिद्ध कार्य को निरूपित करते हुए बताया गया है।
धनिष्ठापञ्चके त्याज्यस्तृणकाष्ठादिसङ्ग्रहः ।
त्याज्या दक्षिणदिग्यात्रा गृहाणां छादनं तथा ॥
पंचक में
तृण-काष्ठादि का संचय दक्षिण दिशा की यात्रा गृह छत प्रेतदाह शय्या बनाना
ये कार्य निषिद्ध हैं।
2022 में पंचक
जनवरी…
पहचानरेवती नक्षत्र 32 तारों से मिलकर बना हैं । यह आकार वमे मृदन्ग या मछली के समान दिखाई देता हैं ।नक्षत्र के चरण - चरण स्वामी ग्रहदे दो चा ची …
पहचानउत्तराभाद्रपद नक्षत्र 2 तारों से मिलकर बना हैं । इसका आकार यमल (जोडा) के समान दिखाई देता हैं ।नक्षत्र के चरण एवं चरण स्वामी ग्रहदू ध झ ञ सूर्य बुध शुक्र मंगलदिशाउत्तरदेवता स्वामी गृहशनिस्वामी…
पहचानपूर्वाभाद्रपद नक्षत्र 2 तारों से मिलकर बना हैं । इसका आकर मंच के समान दिखाई देता हैं ।नक्षत्र के चरण एवं चरण स्वामी ग्रहसे सो द दी मंगल शुक्र बुध चन्द्रदिशापश्चिमदेवताअजपादस्वामी…