सूर्य-
पितृ, आत्मा, स्वभाव, आरोग्यता, राज्य, देवालय का कारक होता है।
चन्द्र-
चन्द्र मन का कारक होता है।
मंगल-
शक्ति, बल, भूसम्पत्ति, कृषि, धैर्य, छोटा भाई, पराक्रम, सेनापति, राजशत्रु का कारक होता है।
बुध-
विद्या, बुद्धि, वक्तृत्व-शक्ति, स्वतन्त्र धन्या, वाणी, लेखन-कला, वेदान्त विषय में रुचि, ज्योतिष विद्या का ज्ञान, गणित-शास्त्र, सम्पादक, मुद्रक, प्रकाशक, पर राष्ट्रमन्त्री, व्यापारी, सर्राफा का धन्था, वकील, तत्त्वज्ञान, विष्णुभक्ति, हास्य, चित्रलेखन आदि का कारक होता है।
गुरु-
धर्म-कर्म, देव, ब्राह्मण, पुत्र, गृह, बन्धु, पौत्र, पितामह, मित्र, मन्त्री, कोष, विद्या, ज्योतिष, उदर, कान, श्रवणशक्ति, ज्ञान, अध्यापकत्व, परमार्थ, तीर्थ, सत्संग, योग, यश, आयु का कारक होता है।
शुक्र-
कलंत्र, विवाह, कामदेव सम्बन्धी कार्य, काव्य, सुगन्धित द्रव्य, आभूषण, नेत्र, वाहन, शैयाविभव, राज्याधिकार और स्त्रीवर्ग का कारक होता है।
शनि-
सेवक, , क्रोध, दीर्घ-जीवन, कृषिकर्म, मन्दबुद्धि, विश्वासघात, कलह, बन्धु विरोध, स्वार्थीपन, परदोष दर्शन, परद्रव्य हरण, लालच आदि का कारक होता है।
राहु-
चतुर कार्यसाधक, प्रचण्ड कल्पनाशक्ति, महत्वाकांक्षी, गूढ़-विद्याज्ञाता, स्पष्टवक्ता, निर्भीक, स्वार्थी, कट्टरपंथी, वाद-विवादकर्त्ता, उत्साही, सामाजिक कार्यकर्त्ता, असत्य वक्ता, अंग्रेजी शिक्षा, द्यूतक्रीड़ा, बाग-बगीचा निर्माता, बलात्कार, पितामह, देशाटन, विधवा सम्पर्क, विषं व संर्पादि अस्त्र-शस्त्र का कारक होता है।
केतु –
तन्त्र-मन्त्र, गुप्तविद्या, विष, ज्वर, तत्त्वज्ञान, वैराग्य, तीर्थाटन, कलह, शिव की भक्ति, का कारक होता है।