प्रश्न समय के अनुसार
तिथी + वार + नक्षत्र + प्रहर + लग्न
इन सभी को जोडकर 8 का भाग देते हैं शेष जो बचे उसके अनुसार बाधा होती है
शेष -
3,7 देव बाधा
0,2 पितृ बाधा
4,6 भूत बाधा
1,5 बाधा नही है
पंडित पवन कुमार शर्मा
मिलान के चरण -
दाराकारक से वर-कन्या के प्रेम, शारीरीक आकर्षण और सुख का विचार किया जाता है।
यदि दोनों की कुण्डलीयों में दाराकारक-
3,11 का सम्बन्ध हो 5,9 का सम्बन्धा हो एक दूसरे से केन्द्र में हो तो वर-कन्या के बीच में प्रेम और शारीरीक सम्बन्ध अच्छा रहेगा और यदि षडाष्टक 6-8 और…
बाल अवस्था
युवा अवस्था
वृद्धा अवस्था
कुंडली में 12 भाव होते है 1 से 4 , 5 से 8 और 9 से 12 भाव के सर्वाष्टक वर्ग बिन्दुओं को जोडिए जिस अवस्था में बिन्दु अधिक होंगे वह अवस्था शुभ रहेगी जिस अवस्था में बिन्दु कम होंगे यह अवस्था ठीक नहीं रहेगी।
पंडित पवन कुमार शर्मा
अष्टक वर्ग के अनुसार भाग्योदय दिशा या अनुकूल दिशा का ज्ञान किया जाता है।
सभी राशियों की दिशाएँ होती है जैसे -
मेष, सिंह, धनु - पूर्व दिशा
मिथुन, तुला, कुम्भ - पश्चिम दिशा
कर्क वृश्चिक, मीन- उत्तर दिशा
सर्वाष्टक वर्ग के अनुसार उपरोक्त राशियों का दिशाओं के अनुसार योग करे।
इस प्रकार…
कुण्डली मिलान में निम्न बिन्दुओ का विचार किया जाता है -
① गुण मिलान
② ग्रह मिलान
③ भाव या राशि मिलान
④ मांगलिक दोष, संतान, आयुविचार इसके साथ-साथ अष्टक वर्ग से भी मिलान करना चाहिए।
अष्टक वर्ग से कुण्डली मिलान के चरण -
वर-कन्या की राशि देखें
जैसे-
वर…