पित्त सम्बन्धी आन्तरिक रोग –
हथेली और रेखाओं का रंग पीला हो तो जातक पित्त प्रकृति का होता है।
पीलिया रोग –
जीवन रेखा पर नकारात्मक चिन्ह जैसे द्वीप, नक्षत्र, क्रास हो और साथ में दाग भी हो तो उसे पीलिया रोग होता है।
गठिया रोग (वात रोग) –
- जिवन रेखा से एक शाखा निकलकर चन्द्र पर्वत पर जाती है तो उसे वात सम्बन्धी गठिया रोग होता है।
- चन्द्र पर्वत से एक रेखा निकलकर जीवन रेखा को काटे तो गठिया रोग होता है।
- स्वास्थ्य रेखा बिल्कुल हल्की दिखे तो गठिया रोग होता है।
- यदि हथेली की त्वचा अधिक कोमल हो तो गठिया रोग होता है।
लकवा रोग –
- शनि क्षेत्र पर नक्षत्र चिन्ह हो, हृदय रेखा पर आडी रेखाएँ हो, हथेली की त्वचा कोमल हो, नाखुन चिपटे हो तो लकवा रोग होता है।
- जीवन देखा और मस्तिष्क रेखा पर दाग हो, जीवन रेखा ठीक नही हो तो लकवा रोग होता है।
- जीवन देखा टीक नहीं हो और अन्त में नकारात्मक चिन्ह हो तो लकवा होता है।
खून की कमी –
हथेली की रेखाये चौडी मलीन तथा पीली हो तो खून की कमी की बीमारी होती है।
रक्त विकार –
चन्द्र पर्वत उन्नत हो नख के उपर लाल रंग का अर्द्ध चन्द्र का चिन्ह हो तो जातक को रक्त विकार से सम्बन्धित रोग होता है।
दातों के रोग –
शनि क्षेत्र उन्नत हो मुख्य रेखाएँ लहरदार है, अगुलियों के द्वितीय पर्व लम्बे हो तो जातक को मसूडो-दातों से सम्बन्धित रोग होता है।
नेत्र विकार –
बुध + सूर्य पर्वत और अंगुलियों पर नकारात्मक चिन्ह हो तो नेत्र विकार होता है।
नेत्र कमजोर –
हृदय रेखा पर नकारात्म चिन्ह हो तो आँखे कमजोर होती है।
अंधापन –
- बुध + शुक्र + सूर्य पर्वत पर नकारात्म चिन्ह हो
- मध्यमा + तर्जनी + हृदय रेखा पर नकारात्म चिन्ह हो
बहरापन –
मस्तिष्क रेखा पर नकारात्मक चिन्ह हो तो उसे कम सुनाई देता है।
त्वचा रोग –
- जीवन रेखा पर नकारात्मक चिन्ह हो और मस्तिष्क रेखा घूमकर जीवन रेखा से मिल जाये।
- हथेली की त्वचा कोमल हो और नाखूल गोल हो तो त्वचा रोग होता है।