जब जन्म कुण्डली में या वर्ष-कुण्डली में या ग्रह गोचर आदि में कोई ग्रह खराब स्थिति में हो तो अरिष्ट-निवारण के लिये ग्रहों के निमित्त दान-पुण्य करने की विधि हैं ।
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के आनुकूल्य प्राप्ति हेतु विभिन्न प्रकार के दान बताये गये हैं । ग्रहों के भिन्न-भिन्न प्रकार के दान कहे गये हैं ।
सूर्य
कौसुम्भवस्त्रं गुडहेमताम्रं माणिक्यगोधूमसुवर्णपद्मम् । सवत्सगोदानमिति प्रणीतं दुष्टाय सूर्याय मसूरिकाश्च ॥
सूर्य ग्रह के लिये लाल-पीले रंग से मिश्रित वर्ण का वस्त्र, गुड़, स्वर्ण, ताम्र, माणिक्य, गेहूँ, लाल-कमल, सवत्सा गौ तथा मसूर की दाल का दान करने से सूर्य का दोष नष्ट होता है ।
चंद्रमा
घृतकलशं सितवस्त्रं दधिशङ्खं मौक्तिकं सुवर्णं च । रजतं च प्रदद्याच्चन्द्रारिष्टोपशान्तये त्वरितम् ॥
चन्द्रमा ग्रह के लिये घृत कलश, श्वेत वस्त्र, दही, शंख, मोती, स्वर्ण तथा चाँदी का दान करने से चन्द्र का दोष नष्ट होता है ।
मंगल
प्रवालगोधूममसूरिकाश्च वृषं सताम्रं करवीरपुष्पम् । आरक्तवस्त्रं गुडहेमताम्रं दुष्टाय भौमाय च रक्तचन्दनम्॥
मंगल ग्रह के लिये मूँगा, गेहूँ, मसूर की दाल, कनेर पुष्प, लाल वस्त्र, गुड़, स्वर्ण, ताम्र एवं रक्त चन्दन का दान करने से मंगल का दोष नष्ट होता है ।
बुध
नीलं वस्त्रं मुद्गहैमं बुधाय रत्नं पाचिं दासिकां हेमसर्पिः । कांस्यं दन्तं कुञ्जरस्याथ मेषो रौप्यं सस्यं पुष्पजात्यादिकं च ॥
बुध ग्रह के लिए नीला वस्त्र, मूंग, स्वर्ण, पन्ना, स्वर्ण युक्त घी, कांस्य (कांसा धातु), धन, धान्य, पुष्प, फल, लता का दान करने से बुध का दोष नष्ट होता है ।
गुरु
अश्वः सुवर्णं मधुपीतवस्त्रं सपीतधान्यं लवणं सपुष्पम् । सशर्करं तद्रजनीप्रयुक्तं दुष्टाय शान्त्यै गुरवे प्रणीतम् ॥
गुरु ग्रह के लिये अश्व, स्वर्ण, मधु (शहद), पीला वस्त्र, पीला धान्य जैसे धान, चने की दाल इत्यादि, नमक, पुष्प (पीला), शर्करा तथा हल्दी, पुस्तक, पुखराज रत्न, भूमि एवं छत्र का दान करने से गुरु का दोष नष्ट होता है ।
शुक्र
चित्रवस्त्रमपि दानवार्चिते दुष्टगे मुनिवरैः प्रणोदितम् । तण्डुलं घृतसुवर्णरूप्यकं वज्रकं परिमलो धवला गौः ॥
शुक्र ग्रह के लिये चित्रित सुन्दर वस्त्र, चावल, घी, स्वर्ण, धन, हीरा, सुगन्धित दिव्य पदार्थ तथा श्रृंगार-सामग्री एवं सवत्सा श्वेत गौ [स्फटिक, कपूर, शर्करा, मिश्री एवं दही इत्यादि] का दान करने से शुक्र का दोष नष्ट होता है ।
शनि
नीलकं महिषं वस्त्रं कृष्णं लौहं सदक्षिणम् । विश्वामित्रप्रियं दद्याच्छनिदुष्टप्रशान्तये ॥
शनि ग्रह के लिये नीलम, काला वस्त्र, लोहा तथा जटा नारियल [उड़द, तिल, छाता, जूता एवं कम्बल] का दान दक्षिणा के साथ करने से शनि का दोष नष्ट होता है ।
राहु
राहोर्दानं कृष्णमेषो गोमेदो लौहकम्बलौ । सौवर्णं नागरूपं च सतिलं ताम्रभाजनम् ॥
राहु ग्रह के लिये गोमेद, लोहा, कम्बल, सोने का नाग, तिलपूर्ण ताम्रपात्र का दान करने से राहु का दोष नष्ट होता है ।
केतु
केतोर्वैदूर्यममलं तैलं मृगमदं तथा । ऊर्णास्तिलैस्तु संयुक्तां दद्यात्क्लेशानुपत्तये ॥
केतु ग्रह के लिये स्वच्छ वैदूर्य (लहसुनिया), तैल, तिलयुक्त ऊनी वस्त्र [ कम्बल, लोहा, छाता एवं उड़द] का दान करने से केतु का दोष नष्ट होता है ।
शास्त्रोक्त विधान
नवग्रहो हेतु विशिष्ट दान शास्त्रों में बताये गये हैं । योग्य ज्योतिषी के परामर्श से कार्य सम्पन्न करना चाहिये । दान देते समय उसके साथ दक्षिणा भी अवश्य देनी चाहिये ऐसा शास्त्रों में बताया गया है ।
नवग्रहों के निमित्त दान सामान्यतया उस ग्रह के वार को किया जाता है, यथा – सूर्य हेतु दान रविवार को, चन्द्र हेतु दान सोमवार को, मंगल का दान मंगलवार को, बुध का दान बुधवार को, गुरु का दान गुरूवार को, शुक्र का दान शुक्रवार को, शनि का दान शनिवार को, राहू-केतु का दान बुधवार को किया जाना चाहिए ।