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  • जो मनुष्य गृहारम्भ या गृहप्रवेश के समय वास्तु पूजा करता है, वह आरोग्य, पुत्र, धन और धान्य प्राप्त करके सुखी होता हैं ।
  • चैत्र मास में गृहारम्भ करने से रोग और शोक की प्राप्ति होती हैं ।
  • वैशाख मास में गृहारम्भ करने से धन-धान्य, पुत्र तथा आरोग्य की प्राप्ति होती हैं ।
  • ज्येष्ठ मास में गृहारम्भ करने से मृत्यु तथा विपत्ति प्राप्त होती हैं ।
  • आषाढ़ मास में गृहारम्भ करने से पशुओं की हानि होती हैं ।
  • श्रावण मास में गृहारम्भ  करने से पशु धन और मित्रों की वृद्धि होती हैं ।
  • भाद्रपद मास में गृहारम्भ करने से मित्रों का ह्रास, दरिद्रता तथा विनाश होता हैं ।
  • आश्विन मास में गृहारम्भ करने से पत्नी का नाश, कलह तथा लड़ाई-झगड़ा होता हैं ।
  • कार्तिक मास में गृहारम्भ करने से पुत्र, आरोग्य एवं धन की प्राप्ति होती हैं ।
  • मार्गशीर्ष मास में गृहारम्भ करने से उत्तम भोज्य पदार्थों की तथा धन की प्राप्ति होती हैं ।
  • पौष मास में गृहारम्भ करने से चोरों का भय होता हैं ।
  • माघ मास में गृहारम्भ करने से अग्नि का भय होता हैं ।
  • फाल्गुन मास में गृहारम्भ करने से धन तथा सुख की प्राप्ति और वंश की वृद्धि होती हैं ।
  • वैशाख, श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष और फाल्गुन – ये मास गृहारम्भ के लिये उत्तम कहे गये हैं ।
  • चैत्र, ज्येष्ठ, आषाढ़, भाद्रपद, आश्विन, पौष और माघ ये मास गृहारम्भ के लिये निषिद्ध कहे गये हैं |
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