विवाह के पूर्व वर कन्या की जम्मपत्रिया मिलाने को मेलापक कहते है। ज्योतिष में लग्न को शरीर और चन्द्रमा को मन माना गया है। प्रेम मन से होता है, शरीर से नहीं । इसीलिए जन्मराशि से मेलापक का ज्ञान करना चाहिए । भावी दम्पति के स्वभाव, गुण, प्रेम और आचार-व्यवहार के सम्बन्ध में ज्ञात करना…
पित प्रकृति राशि - मेष, सिंह,धनु
वायु प्रकृति राशि - वृष, कन्या,मकर
मिश्रित प्रकृति राशि - मिथुन, तुला,कुम्भ
कफ प्रकृति राशि - कर्क, वृश्चिक,मीन
राशियों का स्वभाव
चर राशि- मेष, कर्क, तुला, मकर
स्थिर राशि-वृष, सिंह, वृश्चिक, कुम्भ
द्विस्वभाव राशि- मिथुन, कन्या, धनु, मीन
राशियों के तत्व
अग्नि तत्व राशि- मेष, सिंह,धनु
पृथ्वी तत्व राशि-…
1. मेष-सिर
2. वृष-आंखें, चेहरा, गर्दन, मुंह के अन्दर का भाग,
3. मिथुन- भुजाएं, छाती के ऊपर का भाग, कान कंधे।
4. कर्क- हृदय, फेफड़े (छाती के अन्दर का भाग) स्तन पेट का ऊपरी भाग
5. सिंह-छाती के नीचे का भाग नाभी से ऊपर का भाग
6. कन्या- कमर, कूल्हे, नाभी के नीचे का भाग,…
सूर्यादिवारे तिथयो भवन्ति मघाविशाखाशिवमूलवह्निः ।
ब्राह्मचं करोर्काद्यमघण्ट काश्च शुभे विवर्ज्यागमने त्ववश्यम् ॥
रविवार को मघा, सोमवार को विशाखा, मंगलवार को आर्द्रा, बुधवार को मूल, बृहस्पतिवार को कृत्तिका, शुक्रवार को रोहिणी और शनैश्चरवार को हस्त हो तो यमघण्टयोग होता है । इनमें शुभ कार्य नही करने चाहिए।
परन्तु यात्रा तो अवश्य ही नही करनी चाहिए।
दग्ध- नक्षत्र…
नन्दा च भद्रा च जया च रिक्ता पूर्णेति तिथ्योऽशुभमध्यशस्ताः ।
सितेऽसिते शस्तसमाधमाः स्युः सितज्ञभौमार्किगुरौ च सिद्धाः ॥
नन्दा, भद्रा, जया, रिक्ता, पूर्णा—तिथियों की संज्ञा हैं
प्रतिपदा, षष्ठी, एकादशी- नन्दा संज्ञा
द्वितीया, सप्तमी, द्वादशी– भद्रा संज्ञा
तृतीया, अष्टमी, त्रयोदशी - जया संज्ञा
चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी- रिक्ता संज्ञा
पञ्चमी, दशमी, पूर्णमासी और अमावस - पूर्णा संज्ञा
नन्दा तिथियाँ…
ज्योतिष शास्त्र में विशेष प्रकार से बनने वाले योगों को विशिष्ट राजयोग कहते हैं। ये योग सामान्य योगों से हटकर होते हैं।
कलश योग- यदि सभी शुभ ग्रह नवम तथा एकादश भाव में स्थित हों तो 'कलश' नामक योग होता है।
कमल योग—यदि सभी ग्रह प्रथम, चतुर्थ, सप्तम तथा दशमभाव में हों तो 'कमल' नामक…
मेष - लाल शरीर, कफ प्रकृति, अधिक क्रोधी, कृतघ्न, मंद बुद्धि, स्थिरता-युक्त, स्त्री तथा नौकरों से सदा पराजित
वृष - मानसिक रोग, स्वजनों से अपमानित, प्रिय पुरुषों से वियोग, कलह युक्त, सदा दुःखी, शस्त्र से घातृ, धन क्षय
मिथुन - गौरांग, स्त्री में आसक्त, राजा से पीड़ित, दूत का कर्म करे, प्रिय वाणी, बड़ा नम्र,…
1. मेष- वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल होता है।
मंगल मकर राशि में 28 अंश तक उच्च रहता है।
मंगल कर्क राशि में 28 अंश तक नीच रहता है।
2. वृष- तुला राशि का स्वामी शुक्र होता है।
शुक्र मीन राशि में 27 अंश तक उच्च रहता है।
शुक्र कन्या राशि में…