सूर्यादिवारे तिथयो भवन्ति मघाविशाखाशिवमूलवह्निः । ब्राह्मचं करोर्काद्यमघण्ट काश्च शुभे विवर्ज्यागमने त्ववश्यम् ॥
रविवार को मघा, सोमवार को विशाखा, मंगलवार को आर्द्रा, बुधवार को मूल, बृहस्पतिवार को कृत्तिका, शुक्रवार को रोहिणी और शनैश्चरवार को हस्त हो तो यमघण्टयोग होता है । इनमें शुभ कार्य नही करने चाहिए।
परन्तु यात्रा तो अवश्य ही नही करनी चाहिए।
दग्ध- नक्षत्र
याम्यं त्वाष्ट्रं वैश्वदेवं धनिष्ठार्यम्णं ज्येष्ठान्त्यं रवेर्दग्धभं स्यात् ॥
वारों में क्रम से भरणी, चित्रा, उत्तराषाढ़, धनिष्ठा, उत्तरा फाल्गुनी, ज्येष्ठा और रेवती ये दग्धसंज्ञक हैं।
- रविवार को भरणी
- सोमवार को चित्रा
- मंगलवार को उत्तराषाढ़
- बुधवारवार को घनिष्ठा
- बृहस्पतिवार को उत्तराफाल्गुनी
- शुक्रवार को ज्येष्ठा
- शनैश्चरवार को रेवती
ये नक्षत्र दग्धसंज्ञक हैं। इनमें शुभ कार्य नही करने चाहिए।
गृहप्रवेशे यात्रायां विवाहे च यथाक्रमम् | भौमेऽश्विनीं शनौ ब्राह्मं गुरौ पुष्यं विवर्जयेत् ॥
मङ्गलवार के दिन अश्विनी नक्षत्र हो तो गृहप्रवेश नही करना चाहिए।
शनैश्चरवार के दिन रोहिणी नक्षत्र हो तो यात्रा नही करना चाहिए।
बृहस्पतिवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो तो विवाह नही करना चाहिए।