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संहिता में सिद्धान्त और फलित दोनों के विषयों का मिश्रण है । गणित एवं फलित के मिश्रित रूप को अथवा ज्योतिष शास्त्र के सभी पक्षों पर जिसमें विचार किया जाता है, उसे संहिता कहते हैं । इसमें नक्षत्र मण्डल में ग्रहों के गमन और उनके परस्पर युद्धादि, केतु-धूमकेतु, उल्कापात, उत्पात तथा शकुनादिकों के द्वारा राष्ट्र के लिये शुभाशुभ फल का विवेचन होता है तथा मुहूर्तशास्त्र का वर्णन रहता है ।

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