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मेष लग्न

मेष लग्न में सूर्य पंचम भाव सिंह राशि का स्वामी है और सूर्य मंगल का मित्र है। अतः मेष लग्न के जातक बुद्धि बल,उच्च शिक्षा, सन्तान सुख,  और राज्य कृपा प्राप्ति के लिये माणिक्य रत्न धारण कर सकते हैं। सूर्य की महादशा में उसको धारण करने से शुभ फल प्राप्त होगा।

वृष लग्न

वृष लग्न की कुण्डली में सूर्य चतुर्थ भाव सिंह राशि का स्वामी है और सूर्य लग्नेश शुक्र का शत्रु है। अतः इस लग्न के जातकों को माणिक्य रत्न केवल सूर्य की महादशा में धारण करने से शुभ फल प्राप्त होगा । माणिक्य रत्न धारण करने से भूमि लाभ, मातृ-सुख तथा वाहन सुख प्राप्त होगा।

मिथुन लग्न

मिथुन लग्न की कुण्डली में सूर्य तृतीय भाव सिंह राशि का स्वामी है तृतीय भाव के स्वामी का रत्न धारण करने से वे बलवान होकर और अधिक अनिष्टकारक बन जायेंगे। अतः मिथुन लग्न कुण्डली के जातक को माणिक्य रत्न धारण नही करना चाहिए।

कर्क लग्न

कर्क लग्न की कुण्डली में सूर्य धन भाव सिंह राशि का स्वामी है। अतः सूर्य की महादशा में माणिक्य विशेषकर शुभ फलदायक होगा। धनभाव मारक भाव भी है। अतः माणिक्य मोती के साथ धारण करना चाहिए।

सिंह लग्न

सिंह लग्न में सूर्य लग्नेश है। अतः इस लग्न के लिये माणिक्य अत्यन्त शुभ फलदायक रत्न है शत्रुओं पर विजय, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करेगा और आयु में वृद्धि होगी। आत्म बल की उन्नति के लिये सदा माणिक्य धारण करना चाहिये ।

कन्या लग्न

कन्या लग्न में सूर्य द्वादश का स्वामी होता है। तुला लग्न की कुण्डली में सूर्य जो लग्नेश शुक्र का शत्रु है इस लग्न के जातक को माणिक्य केवल सूर्य की महादशा में धारण करना अर्थिक लाभ के लिये शुभ होगा।

तुला लग्न

तुला लग्न की कुण्डली में सूर्य एकादश (लाभ) भाव का स्वामी है । सूर्य लग्नेश शुक्र का शत्रु है अतः इस लग्न के जातक को माणिक्य केवल सूर्य की महादशा में धारण करना अर्थिक लाभ के लिये शुभ फलदायक होगा ।

वृश्चिक लग्न

वृश्चिक लग्न में सूर्य दशम भाव का स्वामी होता है। सूर्य लग्नेश का मित्र है। अतः राज्य लाभ, मान, व्यवसाय में उन्नति प्राप्त करने के लिये माणिक्य धारण करना शुभ फलप्रद होगा । सूर्य की महादशा में इसका धारण करना विशेष रूप से शुभ होगा।

धनु लग्न

धनु लग्न में सूर्य नवम (भाग्य) भाव का स्वामी है। वह लग्नेश गुरु का मित्र है। अतः धनु लग्न के जातक माणिक्य भाग्योन्नति, आत्मोन्नति तथा पितृ-सुख के लिये धारण कर सकते हैं। सूर्य की महादशा में माणिक्य विशेष रूप से शुभ होगा।

मकर लग्न

मकर लग्न के लिये सूर्य अष्टम भाव का स्वामी होता है। लग्नेश शनि और सूर्य में परस्पर शत्रुता है। अतः इस लग्न के जातक को माणिक्य धारण नही करना चाहिये।

कुम्भ लग्न

कुम्भ लग्न में सूर्य सप्तम भाव का स्वामी होता है। जो भाव विशेष रूप से मारक है अतः कुम्भ लग्न जातकों को माणिक्य धारण नही करना चाहिये ।

मीन लग्न

मीन लग्न के लिये सूर्य पष्ठ भाव का स्वामी होता है । इस लग्न में सूर्य पष्ठ भाव का स्वामी है । अतः लग्न जातकों को माणिक्य धारण नही करना चाहिये ।

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