- मंगल से चतुर्थ भाव का स्वामी मंगल से 6,8,12 भाव में हो तो घर में वास्तु दोष होगा।
- मंगल से चतुर्थ भाव का स्वामी 6,8,12 भाव के स्वामी के साथ हो तो घर में वास्तु दोष होता है।
- 6,8,12 भाव के स्वामी मंगल देव चतुर्थ भाव में बैठ जाए तो घर में वास्तु दोष होता है।
- मंगल देव से चतुर्थ भाव के स्वामी के साथ मंगल देव की युति है तो घर में वास्तु दोष होता है।
कुंडली वास्तु दोष दिशा
मंगल देव से चतुर्थ भाव का स्वामी कौनसी राशि में बैठा है उस राशि स्वामी की दिशा में वास्तु दोष होता है।
उदाहरण 1 –
नाम – जगदीश
जन्म दिनाक – 26/01/1955
जन्म समय – 2:47 PM
जन्म स्थान – फुलेरा(जयपुर राजस्थान )
इसमें नियम 1 लग रहा है बुध देव शनि देव की राशि में पश्चिम दिशा में दोष है यह स्थान खुला हुआ है
उदाहरण 2 –
नाम – जयश्री
जन्म दिनाक – 05/08/1982
जन्म समय – 5:00 AM
जन्म स्थान – ब्यावर(राजस्थान )
नियम 1 के अनुसार वास्तु दोष है उतर दिशा में स्टोर रूम
उदाहरण 3 –
नाम – के मिश्रा
जन्म दिनाक – 09/03/1968
जन्म समय – 6:08 AM
जन्म स्थान – लुधियाना
नियम 2 के अनुसार वास्तु दोष पश्चिम दिशा में मंदिर
उदाहरण 4 –
नाम – अमित
जन्म दिनाक – 10/06/1981
जन्म समय – 5:45 AM
जन्म स्थान – जयपुर
नियम 4 के अनुसार वास्तु दोष अग्नी कोण में जल का स्थान
उदाहरण 5 –
नाम – रोहित
जन्म दिनाक – 08/07/1992
जन्म समय – 6:50 PM
जन्म स्थान – मोकामा
नियम 3 के अनुसार वास्तु दोष अग्नी कोण पीड़ित