सूर्य-
उच्च रक्तचाप, तीव्रज्वर, पेट तथा नेत्र संबंधी रोग, पित्तज बीमारियां तथा हृदय रोग देता है। जब सूर्य पीड़ित होता है तथा जलीय राशियों में स्थित होता है तो क्षय रोग, पेचिश रोग देता है।
चन्द्रमा-
सांस की बीमारी, त्वचा की बीमारियां, अपच, मन्दाग्नि आदि बीमारियों का कारक ग्रह है। यह कफ तथा वायु का भी कारक ग्रह है।
मंगल-
रक्त संबंधी रोग, उच्च या निम्न रक्तचाप, रक्तस्राव, अग्नि से जलना, गर्भपात ।
बुध-
स्मरण शक्ति की हानि, त्वचा की बीमारियाँ, दौरे चेचक, कफ, वात पित्त, उन्माद, एवं गूगापन |
बृहस्पति-
ह्रदय की बीमारियाँ, गुर्दे की बीमारियाँ, मधुमेह, जलोदर, पाचन क्रिया के रोग वसा के द्वारा उत्पन्न रोग।
शुक्र-
मधुमेह, रतिज संबधि रोग, गुप्त रोग, यौन असमर्थता, आंखों की कमजोरी, श्वेत प्रदर वीर्यपात।
शनि-
सारे पुराने लाइलाज रोग, दांत, सांस, क्षय, वातज, गुदा के रोग, जख्म, जोड़ों के दर्द आदि।
राहु-
कुष्ठ रोग, श्वेत रोग, चेचक, हैजा, संक्रामक रोग।
केतु-
जोड़ों, चेचक, हैजा तथा संक्रामक रोगों |