सूर्य अन्तर्दशा चक्र (काल अवधि 6 वर्ष)
ग्रहसू.चं.मं.रा.बृ.श.बु.के.शु.योगवर्ष0000000016मास36410611140 दिन1806241812660
पंडित पवन कुमार शर्मा
दीप्तः स्वस्थो मुदितः शान्तः शक्तः प्रपीड़ितो दीनः ।
विकलः खलश्च कथितो नवप्रकारो ग्रहो हरिणा ॥(मानसागरी)
ग्रहो की नौ प्रकार की अवस्थायें कही गई हैं ।
दीप्त- जो ग्रह अपनी उच्चराशि (परमोच्च ) पर हो ।
स्वस्थ- जो ग्रह अपनी राशि पर रहे हो ।
मुदित- जो ग्रह अपने मित्र ग्रहों की राशि पर रहे हो ।
शान्त-…
महीनो के नामसूर्यदेवीदेवताचैत्रमासवेदांगरमाविष्णुदेवतावैशाखभानुमोहनीमधुसूधनज्येष्ठइंद्रपद्माक्षीत्रिवित्रमआषाढ़रविकमलावामनश्रावणगबस्तीकान्तिमतीश्रीधरभाद्रपदयमअपराजितात्दषीकेशआश्विनसुवर्णरेतापद्मावतीपद्मनाभकार्तिकदिवाकरराधादामोदरमार्गशीर्षमित्रविशालाशीकेशवपौषविष्णुलक्ष्मीनारायणमाघअरुणरुक्मणिमाधवफाल्गुनसूर्यधात्रीगोविंद
पंडित पवन कुमार शर्मा
सैका तिथिर्वारयुता कृताप्ताः शेषेगुणेऽभ्र भुवि वन्हिवासः ।
सौख्याय होमः शशियुग्म शेषे प्राणार्थनाशौ दिवि भूतले च ॥
तिथिअंकप्रतिपदा1द्वितीया2तृतीया3चतुर्थी4पंचमी5षष्ठी6सप्तमी7अष्टमी8नवमी9दशमी10एकादशी11द्वादशी12त्रयोदशी13चतुर्दशी14अमावस्या15प्रतिपदा16द्वितीया17तृतीया18चतुर्थी19पंचमी20षष्ठी21सप्तमी22अष्टमी23नवमी24दशमी25एकादशी26द्वादशी27त्रयोदशी28चतुर्दशी29पूर्णिमा30
वारअंकरविवार1सोमवार2मंगलवार3बुधवार4गुरूवार5शुक्रवार6शनिवार7
तिथि 1 से 30 तक होती हें , वार 1 से 7 तक होते हें
जिस दिन अग्नि वार जानना हो तो तिथि वार अंक को जोडकर , उसमें 1 जोडकर 4 का भाग दे
शेष बचने पर परिणाम…
संक्रांति के पहले और बाद 6 घंटे 24 मिनट का समय (16 घड़ी) पुण्य काल माना जाता है।
आधी रात पूर्व संक्रांति हो तो दिन के तीसरे भाग में पुण्य काल माना जाता है।
आधी रात के बाद संक्रांति हो तो दूसरे दिन के पूर्व भाग पहले प्रात: अगले दिन पुण्य काल माना जाता है।…
स्त्री नवीन वस्त्र धारण मुहूर्त-
हस्ता दिपंचकेऽश्विन्योँ धनिष्ठायां च रेवती ।
गुरौ शुक्र बुधे वारे धार्य स्त्रीभिर्नवाम्बरम् ||
नक्षत्र -हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, अश्विनी धनिष्ठा, रेवती
वार - गुरु शुक्र, बुध
फल - शुभ
पुरुष नवीन वस्त्र धारण मुहूर्त-
लग्ने मीने च कन्यायां मिथुने च वृषःशुभः ।
पूषा पुनर्वसुद्वन्द्वे रोहिण्युत्तरभेषु च ॥
लग्न- मीन, कन्या, मिथुन, वृष…
पड़वा मूल पंचमी भरणी आठे कृतिका नवमी रोहिणी दशमी अश्लेषा ज्वालामुखी ॥
जन्मै तो जीवे नहीं, बसै तो ऊजड़ होय || कामनी पहरे चूड़ियां, निश्चय विधवा होय ॥
प्रतिपदा तिथि- के दिन मूल नक्षत्र
पंचमी तिथि- के दिन भरणी
अष्टमी तिथि- के दिन कृतिका
नवमी तिथि- के दिन रोहणी
दशमी तिथि- के दिन अश्लेषा
ये…
बुभस्य घटिका पंच शौरिर्मष्यान्हमेवच ।
'चन्द्र जीवेच सन्ध्यायां भोमच घठिकावय |
राहुकेश्वो रर्धरात्रे सूर्यशुक्र अरुणोदये अन्यकाले न कर्तव्य कृते दानन्तु निष्फलं ॥
बुध का दान सूर्य उदय से 2 घंटे बाद करना चाहिए |
शनिश्चर का दान दोहपहर में करना चाहिए |
चन्द्रमा और बृहस्पति का दान सन्ध्या को करना चाहिए |
मंगल का दान सूर्य…