सत्ययुग-
सत्ययुग = 4000 देवतावर्ष।
सत्ययुग की पूर्व सन्ध्या- 400 देवतावर्ष।
सत्ययुग की अन्तिम सन्ध्या- 400 देवतावर्ष।
सत्ययुग- 1440000+144000+144000 =1728000 (सत्रह लाख अट्ठाईस हजार) मानववर्ष।
त्रेतायुग-
त्रेतायुग 3000 देवतावर्ष।
त्रेतायुग की पूर्व सन्ध्या- 300 देवतावर्ष।
त्रेतायुग की अन्तिम सन्ध्या 300 देवतावर्ष।
त्रेतायुग 1080000+108000+108000 = 1296000 (बारह लाख छियानबे हजार) मानववर्ष।
द्वापर-
द्वापर युग 2000 देवतावर्ष।…
सप्ताह
सूर्यादि सात वारों के क्रमानुसार एक चक्र पूर्ण होने के काल का नाम सप्ताह है।
पक्ष
पक्ष दो हैं, कृष्णपक्ष तथा शुक्लपक्ष। ये 15-15 तिथियों के होते हैं। कृष्णपक्ष पितरों का दिन तथा शुक्लपक्ष पितरों की एक रात्रि होती है।चन्द्रकलाओं की वृद्धि से शुक्ल पक्ष तथा हास से कृष्णपक्ष का निर्धारण हुआ।
अयन
अयन…
प्रातः काल-
प्रतिदिन सूर्योदय से 48 मिनट पूर्व का काल।
उषाकाल-
सूर्योदय से २ घण्टा पूर्व का काल।
अरुणोदयकाल-
सूर्योदय से 1 घण्टा 12 मिनट तक का काल |
अभिजित्काल-
पलगभग दोपहर 11.36 बजे से 12.24 बजे तक का काल बुधवार को अभिजित्काल नहीं होता है |
प्रदोषकाल-
प्रतिदिन सूर्यास्त के 48 मिनट बाद तक…
सप्ताह
सूर्यादि सात वारों के क्रमानुसार एक चक्र पूर्ण होने के काल का नाम सप्ताह है।
पक्ष
पक्ष दो हैं, कृष्णपक्ष तथा शुक्लपक्ष। ये 15-15 तिथियों के होते हैं। कृष्णपक्ष पितरोंका दिन तथा शुक्लपक्ष पितरों की एक रात्रि होती है।चन्द्रकलाओं की वृद्धिसे शुक्लपक्ष तथा हास से कृष्णपक्ष का निर्धारण हुआ।
अयन
अयन 2 होते हैं।…
भारतीय ज्योतिष में सम्पूर्ण गणना पृथ्वी को केन्द्र मानकर की गयी है, जबकि वास्तव में सौर-परिवार का केन्द्र सूर्य है, जिसके चारों ओर अपनी-अपनी कक्षाओं में पृथ्वी सहित समस्त ग्रह परिक्रमण करते हैं, पर भारतीय ज्योतिष दृश्य-स्थिति को स्वीकारता है। पृथ्वी से देखने पर विभिन्न राशियों में से अन्य ग्रहों की भाँति सूर्य भी परिक्रमण…
यद्यपि संक्रान्ति का सम्बन्ध आकाश में घुमने वाले समस्त ग्रहों के साथ है, तथापि मुख्य रूप से सूर्य की संक्रान्ति ही संसार में पुण्यजनक होने कारण प्रसिद्ध है। सनातन हिन्दू धर्म में मकर संक्रान्ति को एक प्रमुख पर्व (त्यौहार) के रूप में स्वीकार किया गया है। इतना ही नहीं बल्कि धार्मिक ग्रन्थों, स्मृति ग्रन्थों, पुराणों…