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दशगात्र

क्यों- गरुड पुराण के अनुसार स्थूल शरीर के नष्ट हो जाने पर यममार्ग में यात्रा के लिये आति वाहिक शरीर की प्राप्ति होती है । इस आतिवाहिक शरीर के दस अंगों का निर्माण दशगात्र के दस पिण्डों से होता है । जब तक दशगात्र के दस पिण्ड-दान नहीं होते, तब तक बिना शरीर प्राप्त किये…

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काल सर्प योग

भारतीय संस्कृति में नागों का बहुत महत्व है। नाग भगवान शिव के गले का हार है इन्हें शक्ति एवं सूर्य का अवतार माना गया है। अमृत-मन्थन के समय जब राहु का सिर काटकर अलग कर दिया गया, उस समय अमृत पीने के कारण उसका मरण नहीं हुआ। वह एक से दो हो गया। ब्रह्माजी ने…

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भारतीय ज्योतिष का रहस्य

प्रायः समस्त भारतीय विज्ञान का लक्ष्य एक मात्र अपनी आत्मा का विकास कर उसे परमात्मा में मिला देना है । विज्ञान का ध्येय विश्व की गूढ़ पहेली को सुलझाना है । ज्योतिष भी विज्ञान होने के कारण इस अखिल ब्रह्माण्ड के रहस्य को व्यक्त करने का प्रयत्न करता है । ज्योतिष शास्त्र का अन्य नाम…

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तिथि और तारीख

तिथि और तारीख में अन्तर है । एक सूर्योदय काल से अगले सूर्योदय काल तक के समय को तिथि कहते हैं । तिथि का मान रेखांश के आधार पर विभिन्न स्थानों पर कुछ मिनट या घण्टा घट-बढ़ सकता है । तारीख आधी रात से अगली आधी रात तक के समय को कहते हैं । तारीख…

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ग्रहों की अवस्था  

विषम राशियां    मेष, मिथुन, सिंह         तुला, धनु, एवं कुंभ (1,3,5,7,9,11)   विषम राशियां हैं ।       सम राशियां   वृष, कर्क, कन्या    वृश्चिक, मकर, एवं मीन (2,4,6,8,10,12)   सम राशियां हैं ।                                                                          अंश            00°00`     06°00 `  06°00 `   12°00 ` 12°00 `    18°00 `  18°00…

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यात्रा- विचार

शुभ मुहूर्त में यात्रा करने से, बिना अधिक परिश्रम किये कार्य की सिद्धि होती है जबकि अशुभ मुहूर्त में यात्रा करने से हानि होती हैं । गुरु या शुक्र का अस्त होना यात्रारम्भ के लिए शुभ नहीं माना जाता हैं । तिथि रिक्ता, अमावस, पूर्णिमा, षष्ठी, अष्टमी, द्वादशी और शुक्ल प्रतिपदा को छोड़कर शेष सभी…

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 भूमि-प्राप्ति के लिये अनुष्ठान

किसी व्यक्ति को प्रयत्न करने पर भी निवास के लिये भूमि अथवा मकान न मिल रहा हो, उसे भगवान् वराह की उपासना करनी चाहिये । भगवान् वराह की उपासना करने से, उनके मन्त्र का जप करने से, उनकी स्तुति प्रार्थना करने से अवश्य ही निवास के योग्य भूमि या मकान मिल जाता है । स्कन्द…

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पुष्य-नक्षत्र-जन्म-फल

दीर्घायुः तस्करो भोगी, बुद्धिमान् जायते नरः क्रमान्पादचतुराणां तु पुष्यस्य च प्रकीर्तनात् । प्रथम चरण में जातक लम्बी आयु वाला होता हैं । चरण का स्वामी सूर्य, नक्षत्र का स्वामी शनि चन्द्रमा की स्थिती तीनों आयुष्य कारक है अतः जातक दीर्घायु वाला होगा । द्वितीय चरण में चरण स्वामी बुध और नक्षत्र स्वामी शनि की स्थिती इन…

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