मङ्गला पिङ्गला धान्या भ्रामरी भद्रिका तथा । उल्का सिद्धा सङ्कटेति योगिन्योऽष्टौ शिवोदिताः ॥ स्वनामसदृशाः सर्वा दशाकाले फलप्रदाः । जातकस्य कृते यासामधीशाः खेचरा इमे ॥ चन्द्रार्कजीवभौमेन्दुसुतार्किसितराहवः । दशावर्षाणि चैतासामेकाद्यष्टौ यथाक्रमात् ॥
मंगला (1), पिङ्गला (2), धान्या (3), भ्रामरी (4), भद्रिका (5), उल्का (6), सिद्धा (7) तथा संकटा (8) ये आठ योगिनियों के नाम श्री शङ्करजी के कथित हैं, इनके स्वामी ग्रह क्रम से चन्द्र (1), सूर्य(2), बृहस्पति (3), मंगल (4), बुध (5), शनैश्चर (6), शुक्र (7), एवं राहु (8) हैं । योगिनियों के महादशा वर्ष क्रम से 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, नियत हैं ।
योगिनी |
मंगला |
पिङ्गला |
धान्या |
भ्रामरी |
भद्रिका |
उल्का |
सिद्धा |
संकटा |
वर्ष |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
8 |
योगिनीश |
चन्द्र |
सूर्य |
बृहस्पति |
मंगल |
बुध |
शनैश्चर |
शुक्र |
राहु |
जन्म नक्षत्र |
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अश्विनी |
भरणी |
कृतिका |
रोहाणी |
मृगशिरा |
आर्द्रा |
पुष्य |
पुष्य |
आर्द्रा |
मघा |
पूर्वाफाल्गुनी |
उत्तराफाल्गुनी |
हस्त |
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चित्रा |
स्वाति |
विशाखा |
अनुराधा |
ज्येष्ठा |
मूल |
पूर्वाषाढ़ा |
उत्तराषाढ़ा |
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श्रवण |
धनिष्ठा |
शतभिषा |
पूर्वाभाद्रपद |
उत्तराभाद्रपद |
रेवती |
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