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दीप्तः स्वस्थो मुदितः शान्तः शक्तः प्रपीड़ितो दीनः ।
विकलः खलश्च कथितो नवप्रकारो ग्रहो हरिणा ॥(मानसागरी)
ग्रहो की  नौ प्रकार की अवस्थायें कही गई हैं ।

दीप्त– जो ग्रह अपनी उच्चराशि (परमोच्च ) पर हो  । 

स्वस्थ– जो ग्रह अपनी राशि पर रहे हो  ।

मुदित– जो ग्रह अपने मित्र ग्रहों की राशि पर रहे हो  ।

शान्त– जो ग्रह  शुभ ग्रहों के वर्ग में रहे हो  ।

शक्त– जो ग्रह उदित होकर देदीप्य मान हो  ।

प्रपीड़ित–  जो ग्रहों के साथ युद्ध में पीड़ित रहने से प्रपीड़ित कहा जाता है ।

दीन– जो ग्रह अपने नीच गृह में रहे हो  ।

विकल– जो ग्रह अस्तगत हो  ।

खल– जो ग्रह पापग्रहों के साथ हो  ।

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