भविष्यपुराण के अनुसार मूलमन्त्र, नाम-संकीर्तन मन्त्रों से कमल के मध्य में स्थित तिथियों के स्वामी देवताओं की विविध उपचारों से भक्तिपूर्वक यथाविधि पूजा करनी चाहिये तथा जप-होमादि कार्य करने चाहिये। इनके प्रभाव से मानव लोक में और परलोक में सदा सुखी रहता है। उन-उन देवों के लोकों को प्राप्त करता है और मनुष्य देवता के अनुरूप हो जाता है।
प्रतिपदा तिथि –
प्रतिपदा तिथि के देवता अग्निदेव है।
प्रतिपदा तिथि को अग्निदेव की पूजा करके घृत का हवन करे ।
धान्य और धन की प्राप्ति होती है।
द्वितीया तिथि-
द्वितीया तिथि के देवता ब्रह्मा है।
द्वितीया तिथि को ब्रह्मा की पूजा करके ब्राह्मण को भोजन कराये।
सभी विद्याओं की प्राप्ति होती है।
तृतीया तिथि-
तृतीया तिथि के देवता धन के स्वामी कुबेर है।
तृतीया तिथि में धन के स्वामी कुबेर की पूजा करे ।
मनुष्य निश्चित ही विपुल धनवान् बन जाता है तथा क्रय-विक्रयादि व्यापारिक व्यवहार में उसे अत्यधिक लाभ होता है।
चतुर्थी तिथि-
चतुर्थी तिथि के देवता भगवान् गणेश जी है।
चतुर्थी तिथि में भगवान् गणेश जी की पूजा करे ।
सभी विघ्नों का नाश होता है ।
पञ्चमी तिथि-
पञ्चमी तिथि के देवता नागराज है।
पञ्चमी तिथि में नागों की पूजा करे ।
विष का भय नहीं रहता, स्त्री और पुत्र प्राप्त होते हैं और श्रेष्ठ लक्ष्मी भी प्राप्त होती है।
षष्ठी तिथि-
षष्ठी तिथि के देवता कार्तिकेय है।
षष्ठी तिथि में कार्तिकेय की पूजा करे ।
मनुष्य श्रेष्ठ मेधावी, रूप सम्पन्न, दीर्घायु और कीर्ति को बढ़ाने वाला हो जाता है।
सप्तमी तिथि-
सप्तमी तिथि के देवता भगवान् सूर्यनारायण है।
सप्तमी तिथि में चित्रभानु नाम वाले भगवान् सूर्यनारायण की पूजा करे ।
भगवान् सूर्यनारायण सबके स्वामी एवं रक्षक हैं।
अष्टमी तिथि-
अष्टमी तिथि के देवता भगवान् सदाशिव है।
अष्टमी तिथि में वृषभ से सुशोभित भगवान् सदाशिव की पूजा करे ।
वृषभ से सुशोभित भगवान् सदाशिव प्रचुर ज्ञान तथा अत्यधिक कान्ति प्रदान करते हैं।
भगवान् शङ्कर मृत्युहरण करने वाले, ज्ञान देने वाले और बन्धन मुक्त करने वाले हैं।
नवमी तिथि-
नवमी तिथि के देवता दुर्गा है।
नवमी तिथि में दुर्गा की पूजा करे ।
मनुष्य इच्छापूर्वक संसार-सागर को पार कर लेता है तथा संग्राम और लोक व्यवहार में वह सदा विजय प्राप्त करता है।
दशमी तिथि-
दशमी तिथि के देवता यम है।
दशमी तिथि में यम की पूजा करे ।
यम निश्चित ही नरक तथा मृत्यु से मानव का उद्धार करने वाले हैं।
एकादशी तिथि-
एकादशी तिथि के देवता विश्वेदेव है।
एकादशी तिथि में विश्वेदेव की पूजा करे ।
विश्वेदेव भक्त को संतान, धन-धान्य और पृथ्वी प्रदान करते हैं।
द्वादशी तिथि-
द्वादशी तिथि के देवता भगवान् विष्णु है।
द्वादशी तिथि में भगवान् विष्णु की पूजा करे ।
मनुष्य सदा विजयी होकर समस्त लोक में वैसे ही पूज्य हो जाता है, जैसे भगवान् सूर्य पूज्य हैं।
त्रयोदशी तिथि-
त्रयोदशी तिथि के देवता कामदेव है।
त्रयोदशी तिथि में कामदेव की पूजा करे ।
मनुष्य उत्तम रूपवान् हो जाता है और मनोवाञ्छित रूपवती भार्या प्राप्त करता है तथा उसकी सभी कामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।
चतुर्दशी तिथि-
चतुर्दशी तिथि के देवता देवदेवेश्वर सदाशिव है।
चतुर्दशी तिथि में देवदेवेश्वर सदाशिव की पूजा करे ।
मनुष्य समस्त ऐश्वर्यों से समन्वित हो जाता है तथा बहुत धन से सम्पन्न हो जाता है।
पौर्णमासी तिथि-
पौर्णमासी तिथि के देवता चन्द्रमा है।
पौर्णमासी तिथि में चन्द्रमा की पूजा करे ।
सम्पूर्ण संसार पर आधिपत्य हो जाता है और वह कभी नष्ट नहीं होता है।
अमावास्या तिथि-
अमावास्या तिथि के देवता पितृगण है।
अमावास्या तिथि में पितृगण की पूजा करे ।
अमावास्या में पितृगण पूजित होने पर प्रसन्न होकर प्रजावृद्धि, धन-रक्षा, आयु तथा बल-शक्ति प्रदान करते है। उपवास के फल को देने वाले होते हैं। अतः मानव को चाहिये पितरों को भक्तिपूर्वक पूजा के द्वारा सदा प्रसन्न रखे।