दान –
रोहिणी नक्षत्र की शांति के लिए घी मिश्रित अन्न का दान करना चाहिए ।
रत्न –
मोती रत्न रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चन्द्र ग्रह को बलवान् बनाने के लिए पहना जाता है । मोती सीप के मुंह से प्राप्त होता है । इसका रंग सफेद से लेकर हल्का पीला, हलका नीला, हल्का गुलाबी अथवा हल्का काला भी हो सकता है । ज्योतिष लाभ की दृष्टि से इनमें से सफेद रंग उत्तम होता हैं ।
शुभ प्रभाव – मानसिक शांति तथा सुख सुविधाएं प्रदान करता है ।
धारण – मोती को दायें हाथ की अनामिका या कनिष्का उंगली में सोमवार को धारण करना चाहिए ।
व्रत –
रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चन्द्र ग्रह का व्रत 10 सोमवारों तक करना चाहिये । व्रत के दिन श्वेत वस्त्र धारण करना चाहिये । भोजन में बिना नमक के दही, दूध, चावल, चीनी और घी से बनी चीजें ही खाये । इस व्रत को करने से व्यापार में लाभ होता है । मानसिक कष्टों की शान्ति होती है । विशेष कार्य सिद्धि में यह व्रत पूर्ण लाभदायक होता है ।
मन्त्र –
जप संख्या – 5000
वैद मन्त्र –
ॐ ब्रहमजज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्विसीमत: सूरुचोवेन आव: सबुधन्या उपमा अस्यविष्टा: स्तश्चयोनिम मतश्चविवाह ( सतश्चयोनिमस्तश्चविध: )
पौराणिक मंत्र –
प्रजापतीश्वतुर्बाहुः कमंडल्वक्षसूत्रधृत् । वराभयकरः शुध्दौ रोहिणी देवतास्तु मे ॥
नक्षत्र देवता मंत्र –
ॐ ब्रम्हणे नमः । ॐ प्रजापतये नमः ।
नक्षत्र नाम मंत्र –
ॐ रौहिण्यै नमः ।
पूजन –
रोहिणी नक्षत्र को अनुकूल बनाने के लिए जामुन के पौधे की पूजा की जाती है ।