क्या और कैसे, ग्रहशान्ति के बारे में
भारतीय ज्योतिष का यह वैशिष्ट्य है कि इसमें ग्रह की गणित के अलावा फल की कल्पना भी की गई है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र का फल ही शुभाशुभ फल का आदेश करना है।.
यथा→
“ज्योतिश्शास्त्रफलं पुराणगणकैरादेश इत्युच्यते”
शुभ व अशुभ फल का निर्णय ग्रहों की आकाशस्थ स्थिति के अनुसार तय किया जाता है। अपनी-अपनी कक्षाओ में भ्रमण करते हुए ग्रह बहुत बार ऐसी स्थिति में पहुँच जाते है कि पृथ्वीवासियों को विपरीत (वक्रगति) गति से चलते हुए दिखाई पड़ते हैं, कभी-कभी परस्पर युद्ध करते हुए दिखाई देते हैं। ग्रह विभिन्न नक्षत्रों के साथ मिलकर कई ऐसे योग बनाते जिन्हें देखकर महाविनाश के फल की कल्पना की जाती है। महाभारत में व्यासमुनि आकाशस्थ ग्रहों की स्थिति देखकर महाभारत के युद्ध का पूर्वानुमान लगाते थे।
यथा -
“श्वेतो ग्रहो यथा चित्रां
समतिक्रम्य तिष्ठति
धूमकेतुः महाघोरः
पुष्यं चाक्राम्य तिष्ठति” ।।
अर्थात् चन्द्र चित्रा में है और धूमकेतु पुष्य नक्षत्र में है, इसलिए युद्ध अवश्यम्भावी है।
इसी प्रकार व्यक्तिगत फल की कल्पना के लिए भी विभिन्न ग्रन्थों में कई योग कहे गये है।
स्मृतिग्रन्थों में (याज्ञवल्क्यस्मृति इत्यादि ग्रन्थों में) ग्रहों की दुष्टता व उद्दण्डता के विषय में व उनकी दुष्टता के उपशमन (शान्ति) हेतु उपाय किये जाने का निर्देश प्राप्त होता है।
याज्ञवल्क्य कहते हैं कि →
यश्च यश्च ग्रहो दुष्ट:
शतं यत्नेन पूजयेत् ।
अर्थात् जिसका जो-जो ग्रह दुष्ट हो उसे यत्न पूर्वक पूजा विधि से शान्त करें, यही प्रमाण ग्रहशान्ति का मूलाधार है।
ग्रहशान्ति की विधि
मनुष्य के जीवन में सुख व दुख रथ के पहिये की तरह चलते रहते हैं। भाग्य का चक्र भी रथ के चक्के की तरह ही चलता रहता है।
यथा →
“चक्रारपंक्तिरिव गच्छति भाग्यपंक्ति:”
“नीचै: गच्छत्युपरि च दशा चक्रनेमिक्रमेण ” ।।
मनुष्य के सुख दुखों के क्रम का पूर्वानुमान ग्रहदशा के आधार पर लगाया जा सकता है। जब-जब भी दुष्ट ग्रह या अशुभ ग्रह की दशा सम्भावित हो तब उसका शास्त्रोक्त विधियों से मन्त्रानुष्ठान पूर्वक उपशमन कर लेना चाहिए | ग्रहों की शान्ति हेतु प्रत्येक ग्रह की जपसंख्या का प्रमाण भिन्न-भिन्न प्राप्त होता है।
यथा →
ग्रह | जप संख्या | सम्बन्धित मंत्र |
सूर्य | 7,000 | ॐ सूर्याय नमः अथवा ॐ घृणिः सूर्याय नमः |
चंद्र | 11,000 | ॐ चं चंद्राय नमः अथवा ॐ सों सोमाय नमः |
मंगल | 10,000 | ॐ भुं भौमाय नमः अथवा ॐ अं अंगारकाय नमः |
बुद्ध | 9,000 | ॐ बुं बुद्धाय नमः |
गुरु | 19,000 | ॐ बृं बृहस्पतये नमः |
शुक्र | 16,000 | ॐ शुं शुक्राय नमः |
शनि | 23,000 | ॐ शं शनैश्चराय नमः |
राहु | 18,000 | ॐ रां राहवे नमः |
केतु | 17,000 | ॐ कें केतवे नमः |
इस प्रकार सम्बन्धित ग्रह की दशा का आरम्भ होने पर सम्बन्धित मन्त्र का अनुष्ठान जप संख्या के अनुसार संकल्प लेकर शुभ मुहूर्त में सम्बन्धित वार को करना चाहिए। जप संख्या के बाद दशांश हवन भी करना चाहिए।
वार से सम्बन्धित विशेष तथ्य यह है कि समस्त ग्रहों की शान्ति या पूजा विधि उसी के वार को ही कर लेनी चाहिए।
यथा → यथा→ चन्द्र ग्रह शान्ति सोमवार को, सूर्य शान्ति रविवार को,बुधशान्ति बुधवार को। इसी प्रकार अन्य ग्रहों की पूजा भी सम्बन्धित वार के दिन सम्पादित की जा सकती है। राहु व केतु का गुण दोष व स्वभाव शनि ग्रह की तरह होने के कारण इनके शान्ति के उपाय शनिवार को किये जा सकते हैं।
आपका ज्योतिषीय
अध्ययन
«ग्रहों का जादुई अर्थ देखें, आपके लिए मेरी एस्ट्रो रीडिंग निम्नलिखित हैं»यहां तरुष एस्ट्रो में, हमारा मुख्य ध्यान आपके जैसे दिव्य लोगों को ज्योतिष का उपयोग करने में मदद करना है ताकि आपके प्रेम जीवन को बेहतर बनाया जा सके, अपने रिश्तों में स्पष्टता प्राप्त की जा सके और आपके व्यवसाय में अधिक पैसा कमाया जा सके। हम यहां भविष्यसूचक ज्योतिष पर ध्यान केंद्रित करते हैं, और पढ़ने के कौशल को सीखते हैं जिसका उपयोग आप अपने दैनिक जीवन में करेंगे।
ज्योतिष सेवाएं
ज्योतिष चाहने वालों के घर तरुष एस्ट्रो में आपका स्वागत है, जिन्हें अपने प्रेम जीवन पर स्पष्टता, अपने व्यवसायों में अधिक धन और भविष्य के लिए भविष्यवाणियों की आवश्यकता है। हमें बताएं, आप अपनी जीवन यात्रा में कहां हैं?
आपका निःशुल्क व्यक्तिगत
राशिफल
अब आप ज्योतिष के विशेषज्ञों के व्यापक विश्लेषण से लाभ उठा सकते हैं। हम आपको आपकी वर्तमान स्थिति का संपूर्ण और पूरी तरह से व्यक्तिगत विश्लेषण प्रदान करने के लिए, साथ ही साथ आपके सामने आने वाली किसी भी स्थिति को हल करने में मदद करने के लिए आपको 100% सटीक भविष्य की भविष्यवाणियां और पेशेवर सलाह प्रदान करने के लिए आपकी सेवा में हमारे सभी व्यावसायिकता और प्रतिभाओं को आपकी सेवा में रखेंगे।