जन्मभं चतुर्गुष्यं तिथिवारसमन्वितम् नवभिस्तु हरेद्भागं शेषं दिनदशोच्यते ॥॥ रविणा शोकसन्तापौ शशाङ्के क्षेमलाभको भूमिपुत्रे त्वनिष्टः स्याद्बुधे प्रज्ञाविवर्धनम् ॥॥ गुरी वित्तं भृगौ सौख्यं शनी पीडा न संशयः । राहुणा घातपातौ च केतोर्मृत्युसमं फलम् ॥॥
जन्म नक्षत्र की संख्या को चौगुणा करे और तिथि वार की संख्या को जोड़ देवें, तब 9 का भाग देवे जो शेष रहे उससे दिन दशा जाननी चाहिए ।
एक शेष रहे तो सूर्य दशा ।
फल – शोक संताप ।
दो शेष रहे तो चन्द्र दशा।
फल – क्षेम और लाभ ।
तीन शेष रहें तो मङ्गल दशा ।
फल – मृत्युकारक ।
चार शेष रहें तो बुध दशा ।
फल – बुद्धि बढ़ावे ।
पांच शेष रहें तो गुरु दशा ।
फल – धनलाभ ।
छ शेष रहें तो शुक्र दशा ।
फल – सुख ।
सात शेष रहें तो शनि दशा ।
फल – पीड़ा ।
आठ शेष रहें तो राहु दशा ।
फल – घातपात ।
नव शेष रहें तो केतु दशा
फल – मृत्युसम ।
यह दिन की दशा फल सहित जाननी चाहिए ।