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स्वप्न

स्वप्न परम पिता परमात्मा की एक विशेष रचना है। सनातन धर्म के धार्मिक ग्रंथो में मनुष्य शरीर की चार अवस्थाये बताई गयी हैं। जागृत निद्रा  स्वप्न तुरीय सपना विषय मनुष्य की तीसरी अवस्था स्वप्न है। निद्रा अवस्था में हम कभी-कभी स्वप्न देखते हैं। यह एक रहस्यम विषय है कुछ स्वस्त्र हमे भविष्य…

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योग

योग का अर्थ होता है जोड़ । योग की उत्पत्ति नक्षत्र से होती है। भूकेन्द्रीय दृष्टि से सूर्य + चन्द्रमा की गति का योग एक नक्षत्र भोगकाल 13 अंश 20 कला होता है तब एक योग की उत्पत्ति होती है। अर्थात सूर्य की दैनिक गति / अंश और चन्द्रमा की 13 अंश 20 कला है…

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नक्षत्र

चन्द्रमा जिस पथ पर पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करता है, तो उस समय मुख्य तारों के समूह के बीच मध्य से चन्द्रमा गुजरता है उसी समूह को नक्षत्र कहते हैं। चन्द्रमा का राशि चक्र नक्षत्रों में विभाजित है। पुराणों के अनुसार 27 नक्षत्र प्राचेतस दक्ष की सत्ताईस बेटियाँ हैं। जिनका विवाह चन्द्रमा से किया…

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संक्रान्ति और सूर्य

यद्यपि संक्रान्ति का सम्बन्ध आकाश में घुमने वाले समस्त ग्रहों के साथ है, तथापि मुख्य रूप से सूर्य की संक्रान्ति ही संसार में पुण्यजनक होने कारण प्रसिद्ध है। सनातन हिन्दू धर्म में मकर संक्रान्ति को एक प्रमुख पर्व (त्यौहार) के रूप में स्वीकार किया गया है। इतना ही नहीं बल्कि धार्मिक ग्रन्थों, स्मृति ग्रन्थों, पुराणों…

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