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विंशोत्तरी-दशा-फल-गुरु

गुरु की दशा में ज्ञानलाभ, घन वस्त्र-वाहन-लान, कण्ठ रोग, गुल्मरोग, प्लीहा रोग आदि फल प्राप्त होते है। मेष राशि में गुरु हो तो उस की दशा में लफ़तरी, विद्या, स्त्री, घन, पुन, सम्मान आदि का लाभ वृष में हो तो रोग, विदेश में निवास, धनहानि मिथुन में हो तो विरोध, वलेश, धननाश …

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विंशोत्तरी-दशा-फल-केतु

मेष में केतु हो तो घनलाभ, यश, स्वास्थ्य वृष में हो तो कष्ट, हानि, पोडा, चिन्ता, अल्पलाभ मिथुन में हो तो कोत्ति, बन्धुओं से विरोध, रोग, पीडा कर्क में हो तो अल्पसुख, कल्याण, मित्रता, पुत्रलाभ, स्त्री-लाभ सिंह में हो तो अल्पसुख, घनलाभ कन्या में हो तो नोरोग, प्रसिद्ध, सत्कार्यों से प्रेम, नवीन काम करने…

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